आज सिनेमा घरों में दस्तक दी है बॉलीवुड फिल्म ‘नोटबुक’ ने। ये फिल्म एक रोमांटिक ड्रामा है, जिसका निर्देशन नितिन कक्कड़ और निर्माण एसकेएफ के तहत सलमान खान, मुराद खेतानी और अश्विन वर्डे ने किया है। इस फिल्म से जहीर इकबाल और प्रनूतन बहल जो अभिनेता मोहनीश बहल की बेटी और वेटरन एक्ट्रेस नूतन की पोती हैं हिंदी सिनेमा में कदम रखने जा रहे हैं। सलमान इस फिल्म के निर्माता हैं और एक गाने में अपनी आवाज भी दी है।
थाई फिल्म ‘टीचर्स डायरी’ की आधिकारिक रीमेक है ‘नोटबुक’
बात करें फिल्म ‘नोटबुक’ की कहानी थाई फिल्म ‘टीचर्स डायरी’ की आधिकारिक रीमेक है। फिल्म कबीर (ज़हीर इकबाल) और फिरदौस (प्रनूतन बहल) के इर्द गिर्द घूमती है। कबीर एक पूर्व सैनिक है जो हाल ही में कश्मीर की एक बोट-स्कूल में टीचर के रूप में जॉइन किया है। यहां पर उसे पहले रही एक अन्य टीचर फिरदौस (प्रनूतन बहल) की एक नोटबुक मिलती है। इस नोटबुक में फिरदौस ने अपने सबसे निजी विचार लिखे हैं। इस नोटबुक को पढ़ने के बाद कबीर बिना कभी मिले ही फिरदौस के प्यार में पड़ जाता है।
‘वो बहुत खूबसूरत है लेकिन मैने उसे कभी देखा ही नहीं……..
प्यार हो गया है मुझे उससे जिससे कभी मैं मिला ही नहीं।’
कबीर सोचता है कि ‘क्या वह कभी उस अनजान चेहरे से मिल पायेगा जिसे वह बेइंतेहां मोहब्बत करने लगा है।’ और बाकी फिल्म में इसी बात का जवाब देने की कोशिश है।
फिल्म रिव्यू
फिल्म का प्लॉट काफी दिलचस्प है, लेकिन इसका स्क्रीनप्ले बेहद कमजोर है। हालांकि फिल्म में जहीर इकबाल और प्रनूतन बहल एक ताजी हवा के झौंके की तरह सामने आते हैं। यह फिल्म पूरी तरह रोमांटिक फिल्मों के डाई-हार्ड फैन्स के लिए है फिर भी यह इस जॉनर की फिल्म के हिसाब से पूरी तरह अपने सब्जेक्ट के साथ न्याय नहीं कर पाती है। कश्मीर की शूटिंग फिल्म को और ज्यादा खूबसूरत बना देती है।
बग़ैर किसी से मिले उसके प्यार में डूब जाना काफी दिलचस्प लगता है लेकिन इस स्टोरी लाइन को स्थापित करने में काफी वक्त लिया जाता है। यह कपल फिल्म के अंत तक एक-दूसरे से नहीं मिल सकता है लेकिन जब यह हाई-ड्रामा शुरू होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। फिल्म के लेखकर दराब फारुकी, पायल अशर और शरीब हाशमी ने कश्मीरी युवाओं के सामाजिक ताने-बाने के आसपास कहानी लिखी है जो जाहिर तौर पर पॉजिटिव है लेकिन न तो फिल्म का स्क्रीनप्ले और नही इसके डायलॉग उस तरह का ड्रामा क्रिएट कर पाते हैं जैसी इससे उम्मीद की गई थी।
बेहतरीन सिनोमटॉग्रफी, दमदार अभिनय
‘नोटबुक’ के मजबूत पक्ष की बात करें तो मनोज कुमार खाटोई की सिनोमटॉग्रफी है। जहीर इकबाल-प्रनूतन बहल की परफॉर्मेंस है लेकिन इन दोनों को साथ में स्क्रीनटाइम काफी कम दिया गया है जिससे इनके बीच की केमिस्ट्री उतना असर नहीं डाल पाती। इससे पहले फिल्म के डायरेक्टर नितिन कक्कड़ ‘फिल्मिस्ता’ और ‘मित्रों’ जैसी अच्छी फिल्में बना चुके हैं लेकिन इस बार वह अपना जादू चलाने में नाकाम रहे हैं। विशाल मिश्रा का कश्मीरी म्यूजिक अच्छा है लेकिन गाने कहानी के मुताबिक असर नहीं डाल पाते हैं। कुलमिलाकर अगर आप आप रोमांटिक फिल्मों के शौकीन हैं तो इस फिल्म को देख सकते हैं लेकिन फिल्म से आपको अधूरी लगेगी।