Bihar Assembly Polls 2020: बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) आज शाम जेडीयू में शामिल हो जाएंगे। पूर्व डीजीपी हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति ली है। सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए उनकी जगह एसके सिंघल को डीजीपी का प्रभार दिया है।
एक खबर के मुताबिक गुप्तेश्वर पांडेय जदयू (JDU) के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। पिछले महीने पांडेय तब सुर्खियों में थे, जब उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) राजपूत मौत के केस में रिया चक्रवर्ती पर औकात से जुड़ी टिप्पणी की थी। गुप्तेशवर पहले पूर्व डीजी (महानिदेशक) नहीं है जो रिटायरमेंट के बाद सियासी पारी खेलने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि साल 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) इससे पहले भी चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे चुके हैं। साल 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने वीआरएस का आवेदन दिया था लेकिन सरकार ने उनके आवेदन को तब नामंजूर कर दिया था।
सोशल मीडिया पर “मेरी कहानी मेरी जुबानी” शीर्षक के तहत लोगों के साथ संवाद करते हुए पू्र्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा था कि अगर मौका मिला और इस योग्य समझा गया कि मुझे राजनीति में आना चाहिए तो मैं आ सकता हूं लेकिन वे लोग निर्णय करेंगे जो हमारी मिट्टी के हैं, बिहार की जनता हैं और उसमें पहला हक तो बक्सर के लोगों का है जहां मैं पला-बढ़ा हूं।
उन्होंने तब ये भी कहा कि राजनीति में आने का अब मेरा मन हो गया है। अब स्थिति ऐसी बन गई है कि मुझे लगता है कि अब इसमें आ जाना चाहिए। पूर्व डीजीपी ने आगे कहा कि राजनीति में मेरे आने से किसी को परेशानी क्यों हो रही है और इसे सुशांत सिंह राजपूत के मामले से लोग क्यों जोड़ रहे हैं।
गुप्तेश्वर ने 34 वर्षों की अपनी पुलिस सेवा को बेदाग बताते हुए कहा कि हर कोई पूछ रहा था कि क्या मैं चुनाव लड़ूंगा। हालांकि मैं अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं हुआ हूं… मैं सिर्फ यह पूछना चाहता हूं कि क्या चुनाव लड़ना पाप है? क्या मैं वीआरएस लेने के बाद चुनाव लड़ने वाला पहला व्यक्ति हूं? क्या ऐसा करना गैरकानूनी या अनैतिक है?
हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया कि वह आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या वाल्मीकिनगर लोकसभा उपचुनाव। उन्होंने कहा कि वह पैसा कमाने या नाम कमाने और प्रसिद्धि के लिए राजनीति में शामिल नहीं होंगे बल्कि वह ऐसा “लोगों की सेवा” करने के इरादे के साथ राजनीति की दुनिया में कदम रखेंगे।