मनमोहन सिंह बोले- देश की अर्थव्यवस्था की हालत गंभीर, विपक्षी नेता नहीं, अर्थशास्त्र के छात्र के तौर पर कह रहा हूं

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Interesting facts about former PM Dr Manmohan Singh biography and political career

पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत पर चिंता जाहिर करते हुए एक लेख लिखा है। अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू‘ में लिखे लेख में मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को चिंताजनक बताते हुए इसके कारण और उपाय पर चर्चा की है। मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार और संस्थाओं में नागरिकों के भरोसे की कमी की वजह से अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि भारत की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद चिंताजनक है।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लेख की शुरुआत यह लिखते हुए कि है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। मैं यह तथ्य विपक्षी राजनीतिक दल के सदस्य के तौर पर नहीं बल्कि इस देश के एक नागरिक और अर्थशास्त्र के छात्र के रूप में रख रहा हूं।


हर मोर्चे पर असफलता

मनमोहन सिंह ने लिखा, ‘अब कुछ बातें स्पष्ट हो चुकी हैं- जीडीपी वृद्धि दर 15 साल में सबसे निचले स्तर पर है, घरेलू उपभोग पिछले चार दशक में सबसे नीचे पहुंच गया है और बेरोज़गारी 45 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। बैंकों के कर्ज़ डूबने के मामले सबसे ऊंचे स्तर पर हैं और बिजली उत्पादन 15 साल के सबसे निचले स्तर पर गिर गया है।’

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सामाजित ताना-बाना और आपसी भरोसे में कमी से हुआ नुकसान

मनमोहन सिंह ने लिखा है कि देश की अर्थव्यवस्था पर समाज की स्थिति का बड़ा असर रहता है और यह एक तरह से प्रतिबिंब है। किसी भी अर्थव्यवस्था का कामकाज अपने लोगों और संस्थानों के बीच आदान-प्रदान और सामाजिक संबंधों के साझेदारी का परिणाम है। आपसी विश्वास और आत्मविश्वास लोगों के बीच ऐसे सामाजिक लेनदेन का आधार है जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं। हमारा भरोसा और सामाजित ताना-बाना अब टूट कर बिखर चुका है।


नए उद्योगपति में डर का माहौल

मनमोहन सिंह ने लिखा है कि उनकी कई उद्योगपतियों से मुलाक़ात हुई। इन मुलाक़ातों में उद्योगपती बताते हैं कि वो सरकारी अधिकारियों के हाथ परेशान किए जाने के डर में जी रहे हैं। बैंक नए कर्ज़ नहीं देना चाहते, क्योंकि उन्हे कर्ज़ डूबने का ख़तरा लगता है। लोग नए उद्योग लगाने से डर रहे हैं कि कुछ लोगों की ख़राब नियत के चलते वो डूब सकते हैं।

मनमोहन सिंह ने साथ ही कहा, ‘लोग खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। लोगों को लगता है कि उनको सुनने वाला कोई नहीं है। इस अविश्वास और डर के लिए मोदी सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेदार है।’

उन्होंने लिखा कि ‘लोगों में निराशा है। मीडिया, न्यायपालिका, नियामक और स्वतंत्र संस्थाओं में लोगों का विश्वास काफी कम हो गया है।’ लेख में उन्होंने नोटबंदी और नीति निर्माण पर सरकार के रवैये पर सवाल उठाया। साथ ही घटती विकास दर और बढ़ती बेरोजगारी पर भी चिंता जाहिर की।

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हर किसी को शक की निगाह से देखना घातक

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ाने वाले लोगों को शक की नज़र से देखती है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का पॉलिसी फ्रेमवर्क कुछ इस तरह का है कि सभी उद्योगपति, बैंक अधिकारी, रेगुलेटर और नागरिक फ्रॉड हैं, धोखेबाज़ हैं।

मनमोहन सिंह ने सरकार को आगाह किया है कि भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आप इससे मनमुताबिक खेल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि यह वो समय है जब भारत के पास अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बड़े अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था में फ़िलहाल मंदी चल रही है और भारत के पास मौक़ा था कि वो अपना कारोबार दुनिया भर में बढ़ाता।


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