Pranab Mukherjee Passes Away: देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। सेना के अनुसंधान एवं रेफरल अस्पताल में भर्ती मुखर्जी की हालत सोमवार को और बिगड़ गई थी।
With a Heavy Heart , this is to inform you that my father Shri #PranabMukherjee has just passed away inspite of the best efforts of Doctors of RR Hospital & prayers ,duas & prarthanas from people throughout India !
I thank all of You ?
— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) August 31, 2020
अस्पताल ने बताया था कि मुखर्जी का स्वास्थ्य सोमवार को और खराब हो गया क्योंकि उन्हें फेफड़े में संक्रमण की वजह से सेप्टिक शॉक लगा है। पूर्व राष्ट्रपति को 10 अगस्त को यहां अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी। इसके बाद में उनके फेफड़ों में भी संक्रमण हो गया था।अस्पताल में उनका इलाज विशेषज्ञों की एक टीम कर रही थी।
प्रणब मुखर्जी ने जुलाई 2012 में भारत के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी। वह 25 जुलाई 2017 तक इस पद पर रहे थे। प्रणब मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 में भारत रत्न (Bharat Ratna) से सम्मानित किया गया था। प्रणब मुखर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय (Calcutta University) से इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की थी।
प्रणब मुखर्जी एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी रहे। मुखर्जी ने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। पूर्व राष्ट्रपति का जन्म 11 दिसम्बर 1935, को पश्चिम बंगाल (West Bengal) के वीरभूम जिले में हुआ था। उनके पिता 1920 से ही कांग्रेस पार्टी में सक्रिय थे।
मुखर्जी के पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मुखर्जी का संसदीय करियर करीब पांच दशक पुराना है. वह पहली बार 1969 में राज्यसभा पहुंचे थे। उस समय की प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने इनकी योग्यता से प्रभावित होकर मात्र 35 वर्ष की उम्र में, 1969 में कांग्रेस पार्टी की ओर से राज्य सभा का सदस्य बना दिया।
उसके बाद वे, 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए। मुखर्जी अपनी योग्यता के चलते सन् 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे और और सन् 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया, लेकिन सन् 1989 में एक समझौते के तहत उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया।