ग्रेटर नोएडा : दनकौर के राजकीय वृद्धाश्रम में पिटाई से एक की मौत, दो हिरासत में

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गौतमबुद्ध नगर, 6 अप्रैल (आईएएनएस)| गौतमबुद्ध नगर जिले में राज्य सरकार द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में एक वृद्ध की संदिग्ध हालातों में मौत हो गयी। पुलिस को आशंका है कि मृत्यु पिटाई में लगी चोटों से हुई है। मूलत: अलीगढ़ निवासी मरने वाले वृद्ध का नाम सोरन सिंह (70) है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। इस मामले में वृद्धाश्रम में कार्य करने वाले दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। सोमवार को आईएएनएस से बात करते हुए यह जानकारी ग्रेटर नोएडा के डीसीपी राजेश कुमार सिंह ने दी। डीसीपी के मुताबिक, “इस सिलसिले में सोरन सिंह की पत्नी कंचन देवी ने पुलिस को शिकायत दी है। थाना दनकौर पुलिस ने शव को पंचनामा भर कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही वजह साफ होगी। हालांकि शरीर पर मौजूद चोटों के निशान गवाही दे रहे हैं कि, सोरन सिंह की मौत पिटाई की वजह से हुई होगी।”

डीसीपी राजेश कुमार सिंह ने आगे कहा, “जिस वृद्धाश्रम में घटना घटी वो राज्य सरकार के अधीन संचालित है। घटनाक्रम के मुताबिक, सोरन सिंह मूलत: गांव मंजूर गढ़ी जिला अलीगढ़ यूपी के रहने वाले हैं। 28 फरवरी 2020 को सोरन सिंह पत्नी कंचन देवी के साथ वृद्धाश्रम में दाखिल हुए थे। तब से यहीं रह रहे थे।”


पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि, सोरन सिंह गुस्सैल प्रवृत्ति के थे। अक्सर वृद्धाश्रम में पत्नी से उनका झगड़ा होता रहता था। झगड़े को वृद्धाश्रम के कर्मचारी बीच बचाव कराके खत्म करा देते थे। 2 मार्च को भी पत्नी से उनका झगड़ा हुआ था। झगड़े के दौरान आश्रम कर्मचारियों द्वारा बीच-बचाव कराये जाने के वक्त सोरन सिंह के शरीर में गंभीर चोटें लग गयीं।

घायल सोरन सिंह के बारे में आश्रम कर्मचारियों ने न तो पुलिस को खबर की। न ही अस्पताल में उनका कोई इलाज कराया। जोकि षडयंत्र और लापरवाही का द्योतक है। डीसीपी के मुताबिक, “बजाये अस्पताल ले जाने के या पुलिस को सूचित करने के वृद्धाश्रम कर्मियों ने सोरन सिंह के शव को आश्रम के बाहर खेतों में फेंक दिया। यही वो वजह बनी जिसके चलते पुलिस जांच के दौरान वृद्धाश्रम प्रशासन लपेटे में आ गया। इसीलिए आश्रम के दो कर्मचारी हिरासत में ले लिये गये।”

डीसीपी के मुताबिक, “और भी कई ऐसे तथ्य हैं जो आश्रम कर्मचारियों को संदेह के घेरे में खड़ा करते हैं। इन्हीं में एक प्रमुख वजह निकली कि, घायल सोरन सिंह को आश्रम कर्मियो ने आखिर खेतों में ले जाकर क्यों फेंक दिया? जहां इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गयी। बाद में वृद्धाश्रम कर्मियों ने अपने गले से फंदा निकालने के लिए अफवाह उड़ा दी कि, सोरन सिंह 2 मार्च को पेंशन लेने गये तभी से वे आश्रम में वापस नहीं लौटे हैं। जबकि हकीकत यह थी कि, सोरन सिंह की मौत की जानकारी हिरासत में लिये गये संदिग्ध आश्रम कर्मियों को थी। फिर उन्होंने सोरन सिंह की मृत्यु को लेकर आखिर गलत प्रचार प्रसार क्यों किया?”


जांच में यह बात भी सामने आई है कि दंपत्ति निसंतान है। परिवार में संतान के अलावा और भी कोई नहीं है। पुलिस जांच में दंपत्ति की किसी से रंजिश की बात भी सामने नहीं आई है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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