सरसो के तेल को लेकर सरकार की ओर से एक अहम फैसला सामने आया है। सरसो के तेल में किसी भी अन्य खाद्य तेलों की मिलावट पर अब रोक लगने जा रहा है। सरकार ने अक्टूबर से इसपर रोक लगाने का फैसला किया है।
अक्टूबर की पहली तारीख से अब सरसो के तेल में चावल की भूसी, सोयाबीन और पाम ऑयल के तेल की मिलावट नहीं की जा सकेगी। तेल उद्द्योग के बड़े नामों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि, इससे देश में सरसो के दाने का उत्पादन बढ़ेगा और खाद्य तेलों के आयात में गिरावट आएगी।
मदर डेयरी ने इस फैसले की तारीफ में कहा है कि इससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा। अडाणी विल्मार के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी अंगशु मल्लिक ने कहा, ”यह एक अच्छा फैसला है। उपभोक्ताओं को अब शुद्ध सरसों का तेल मिलेगा। सरसों के तेल में चावल की भूसी, सोयाबीन और पाम ऑयल के तेल की मिलावट की जा रही है। इस फैसले के बाद अब पांच लाख टन अतिरिक्त सरसों के तेल की जरूरत होगी, जिसे मिलाया जा रहा था।“
मल्लिक ने आगे कहा, ”पांच लाख टन सरसों के तेल का उत्पादन करने के लिए हमें 12-15 लाख टन अतिरिक्त सरसों की जरूरत होगी। इस फैसले से राजस्थान और अन्य राज्यों में सरसों का रकबा बढ़ेगा और किसानों की आय में इजाफा होगा। देश में सरसों का उत्पादन 2019-20 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 91.16 लाख टन था।
कोविड-19 महामारी की वजह से कम मांग पर पिछले वर्ष में 2019-20 तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में भारत का समग्र वनस्पति तेल आयात लगभग 134-135 लाख टन घटने की उम्मीद है। मल्लिक ने सुझाव देते हुए कहा कि खाद्य नियामक को इस फैसले के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना होगा और अवैध रूप से सम्मिश्रण रोकना होगा।
मदर डेयरी की ओर से एक प्रवक्ता ने कहा, ”यह निश्चित रूप से एक सकारात्मक फैसला है और ये हर तरह से उपभोक्ताओं, किसानों और ईमानदारी से शुद्ध सरसों का तेल बेचने वालों के हित में है, क्योंकि उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे सरसों तेल के बड़े बाजारों में उपभोक्ताओं को गुमराह किया गया था और सरसों के तेल के नाम पर मिलावट वाला तेल बेचा जा रहा था।“
उन्होंने आगे कहा कि मदर डेयरी ने हमेशा शुद्ध सरसों के तेल की वकालत की है, जो सही स्वाद और सुगंध देता है। सरसों तेल में मिलावट से गुणवत्ता और स्वाद दोनों प्रभावित होते हैं। उन्होंने आगे जोड़ा इसके अलावा दूसरे खाद्य तेलों की मिलावट पर प्रतिबंध से किसानों को फसल की बेहतर कीमत मिल सकेगी।
बता दें कि हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्त को एक पत्र लिखा था कि ”भारत में किसी भी अन्य खाद्य तेल के साथ सरसों के तेल की मिलावट एक अक्टूबर 2020 से प्रतिबंधित है।