सरकार ने किसान आंदोलन पर ट्वीट कर रहे खालिस्तान और पाकिस्तान समर्थक 1178 ट्विटर अकाउंट को हटाने का दिया आदेश- सूत्र

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नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय (Union Ministry of Information and Broadcasting) ने 4 फरवरी, 2021 को ट्विटर के साथ 1178 ट्विटर अकाउंट की लिस्ट माइक्रोब्लॉगिंग साइट कंपनी Twitter के साथ शेयर की थी। इन अकाउंट्स को सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तान समर्थकों, पाकिस्तान से समर्थित और विदेश से ऑपरेट होने वाले हैंडल्स के तौर पर चिन्हित किया था।

सरकार ने ट्विटर से इन हैंडल्स को हटाने को कहा था। सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। आशंका थी कि ये हैंडल्स किसान आंदोलन की आड़ में भारत में दंगा व अशांति फैलाने के उद्देश्य से विदेश से लगातार ट्वीट किए जा रहे हैं। हालांकि, जानकारी है कि ट्विटर ने अभी इस आदेश का पालन नहीं किया है।


सरकार ने ट्विटर से 257 लिं‍क को ब्लाक करने के लिए कहा था

हैरानी की बात यह है कि ऐसे ट्वीट को ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी द्वारा भी लाइक किया जा रहा है। मंत्रालय ने इन अकाउंट की सूची चार फरवरी को ही ट्विटर को सौंप दी थी। लेकिन ट्विटर की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे पहले 31 जनवरी को भी सरकार ने ट्विटर से 257 लिं‍क को ब्लाक करने के लिए कहा था, लेकिन उस संबंध में भी ट्विटर की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ये 257 लिंक फार्मर्स जेनोसाइड (किसानों का नरसंहार) हैशटैग से होने वाले ट्वीट से जुड़े हैं जो भारत में किसान आंदोलन के नाम पर हिंसा भड़काने के उद्देश्य से किए जा रहे थे। ट्विटर की तरफ से कार्रवाई करने की जगह इन्हें अभिव्यक्ति की आजादी बताया गया।गत एक फरवरी को मंत्रालय की कमेटी के सामने ट्विटर के वकील की पेशी से ठीक पहले इन 257 लिंक को कुछ मिनट के लिए ब्लॉक किया गया था। ट्विटर के इस रवैये को देखते हुए सरकार कार्रवाई की तैयारी में जुट गई है।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक ट्विटर को अगर सरकार का यह निर्देश मुनासिब नहीं लग रहा है तो कंपनी अदालत में सरकार के निर्देश को चुनौती दे सकती है। लेकिन ट्विटर की तरफ से अब तक सरकार के निर्देश को देश के किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी गई है।


मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक ट्विटर को यह बता दिया गया है कि सरकार ने आइटी एक्ट के सेक्शन 69 ए के तहत यह निर्देश दिया है क्योंकि ये ट्वीट आंदोलन को लेकर गलत सूचना का प्रसार कर रहे हैं जिससे हिंसा भड़कने के साथ देश की कानून व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका हैं। इस एक्ट में जुर्माने के साथ ही सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।

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