Guru Purnima 2020: हिंदु धर्म में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का विशेष महत्व है। इस बात से तो हम सभी वाकिफ है कि गुरुओं को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। गुरू को भगवान से भी ऊपर का दर्जा मिला हुआ हैं क्योंकि गुरु ही हमें सही राह की ओर ले जाते है। इस वजह से देशभर में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2020) का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है।
हालांकि, इस साल कोरोनावायरस और लॉकडाउन के असर की वजह से लोगों को अपने घरों में रहकर ही गुरु पूर्णिमा मनानी पड़ेगी।पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास अर्थात महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि व्यास संस्कृत के महान विद्वान थे।
महाभारत (Mahabharat) जैसा महाकाव्य उनके द्वारा ही लिखा गया था। हिंदु धर्म के सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को ही माना गया है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा (Vyas Purnima) के रूप में भी जाना जाता है। इस साल भी पिछले साल की तरह गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) लगने जा रहा है।
गुरु पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा की तिथि: 5 जुलाई
गुरु पूर्णिमा प्रारंभ: 4 जुलाई 2020 को प्रात 11 बजकर 33 मिनट से
गुरु पूर्णिमा समाप्ति तिथि: 5 जुलाई 2020 को प्रात 10 बजकर 13 मिनट तक
गुरु पूर्णिमा का पौराणिक महत्व
इस दिन को प्रचीन काल से ही मनाया जाता रहा है। गुरुकुल के समय में भी शिक्षा ग्रहण करने वाले सभी छात्र, इसी दिन अपनी पूरी व सच्ची श्रद्धा-भक्ति के साथ, अपने गुरु की आराधना करते हुए उन्हें धन्यवाद देते हैं।
एक गुरु के लिए अपने शिष्यों की ये अपार श्रद्धा ही असली गुरु दक्षिणा होती थी। इस दिन लोगों को पवित्र नदियों, कुंडों व तलाबों में स्नान और दान-दक्षिणा करते हुए भी देख सकते हैं। देशभर के सैकड़ों मंदिरों में भी इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
इसके बाद में स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मंदिर की चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं।
फिर ”गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये” मंत्र का जाप करें।
यदि आप गुरुओं के चरण स्पर्स करें।
इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं।
अब उन्हें भोजन कराएं विदा करें।