हरतालिका तीज (Hartalika Teej) हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के प्रमुख व्रतों में से एक है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता गौरी और भगवान भोले नाथ की उपासना करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत हर साल भादो भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। लेकिन इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami) की तरह ही हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2019) की तिथि को लेकर संशय है। ज्योतिषियों में भी इस बात को लेकर मतभेद है। कुछ लोगों का कहना है कि इस बार हरतालिका व्रत 1 सितंबर को है तो वहीं कुछ कह रहे हैं कि यह 2 सितंबर को है। आइए जानते हैं कि आखिर किस दिन व्रत रखना सही होगा।
सुहागिनें भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह व्रत रखती हैं। तृतीया तिथि 1 सितंबर रविवार को प्रातः 8 बजकर 26 मिनट से रात्रि 4 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। 2 सितंबर को सूर्योदय चतुर्थी तिथि में होगा। अतः हरतालिका व्रत पूजन रविवार को ही किया जाना शास्त्र सम्मत है। एक और तर्क यह भी है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्त नक्षत्र में किया जाता है, जो कि 1 सितंबर को है। इसलिए व्रत 1 सितंबर को रखा जाना चाहिए। जानकारों का कहना है अगर आप 2 सितंबर को व्रत रखते हैं तो उस दिन सूर्योदय के बाद चतुर्थी लग जाएगी। ऐसे में तृतीया तिथि का व्रत मान्य नहीं होगा। इसलिए पति,परिवार और बच्चों की सुख समृद्धि के लिए मनाया जाने वाला हरितालिका व्रत 1 सितंबर को मनाया जाएगा।
रविवार को सुहागिन माताएं-बहनें भोर में किसी सरोवर में स्नान कर व्रत का संकल्प लें। घर पर वे दूब युक्त लोटे में जलभर कर 108 बार स्नान करें। व्रत पूर्व संध्या पर रात्रि में ही सहज भोजन मिष्टान्न लेकर जल पी लें। व्रत के दिन उन्हें निराहार निर्जला ही रहना होता है। माताएं शिव-पार्वती का पूजन करती हैं। उनकी भव्य झांकी सजाती हैं। शाम को विशेष पूजन एवं आरती मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 58 मिनट तक है। इसके पश्चात प्रत्येक प्रहर में आरती वंदना की जाती है। माताएं रात्रिकाल में जागरण करती हैं। सामूहिक भजन कीर्तन के साथ शिव-गौरी की भक्तिवंदना करती हैं।