हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका का एक और तबदला हो गया है। 27 साल के करियर में अशोक खेमका का यह 52वां ट्रांसफर है। लेकिन इतनी बदलियों के बाद भी खेमका की खुद्दारी में कोई कमी नहीं आयी है। इस ट्रांसफर पर खेमका ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर लिखा, “किसके हितों की रक्षा करूँ? तुम्हारा या उनका जिनका आप प्रतिनिधित्व का दावा करते हैं? दम्भ है हमें पैरों तले रौंदोगे। शौक से, कई बार सहा है, एक बार और सही।”
किसके हितों की रक्षा करूँ? तुम्हारा या उनका जिनका आप प्रतिनिधित्व का दावा करते हैं?
दम्भ है हमें पैरों तले रौंदोगे। शौक से, कई बार सहा है, एक बार और सही।
— Ashok Khemka (@AshokKhemka_IAS) March 5, 2019
खबरों की मानें तो डॉ. अशोक खेमका को मनोहरलाल सरकार के उस फैसले के विरोध की सजा मिली है, जिसमें फरीदाबाद के कोट गांव की अरावली के दायरे में आने वाली जमीन की चकबंदी कराने को मंजूरी दी गई है। वर्ष 2012 में खेमका जब चकबंदी महानिदेशक थे, तब उन्होंने चकबंदी पर रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि बंसीलाल से लेकर मनोहर लाल तक, कोई ऐसी सरकार नहीं बची, जिसमें खेमका का व्यवस्था से सीधे टकराव नहीं हुआ। भजनलाल, ओमप्रकाश चौटाला हों या फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हर सरकार में खेमका व्यवस्था से टकराते रहे। बदले में उन्हें धड़ाधड़ तबादलों का इनाम मिले।
बता दें, अशोक खेमका 1991 बैच के अधिकारी हैं। इससे पहले बीते साल नवंबर में अशोक खेमका को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रधान सचिव पद से हटाकर खेल एवं युवा मामले विभाग में तैनात किया गया था। इससे पहले 51वें तबादले के बाद परेशान होकर उन्होंने कहा था, अब तो लगता है कि जैसे भेजा फ्राई हो गया है। 1991 बैच के अधिकारी खेमका को लगभग 15 महीने पहले खेल और युवा मामलों के विभाग में तैनात किया गया था।
आईएएस अधिकारी खेमका का नाम 2012 में चर्चा में आया था, जब उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति राबर्ट वाड्रा की कंपनी और रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदे को रद्द कर दिया था।
हरियाणा सरकार द्वारा स्थानांतरित किए गए आईएसएस अधिकारियों में अशोक खेमका के अलावा अमित झा, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा सरस्वती हेरिटेज बोर्ड के सलाहकार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शामिल हैं।