भारत कुमार के नाम से मशहूर मनोज कुमार हिंदी सिनेमा के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं। अपनी शानदार एक्टिंग और देश भक्ति की फिल्मों से उन्होंने सभी के दिल में एक खास जगह बनाई। आज वह अपना 82वां जन्मदिन मना रहे हैं।
मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था। उनका असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी था। उन्होंने 1957 में आई फिल्म ‘फैशन’ से अपने सफर की शुरुआत की। इसके बाद वह ‘हरियाली और रास्ता’, ‘वो कौन थी’, ‘गुमनाम’ जैसी फिल्मों में नजर आए और हिंदी सिनेमा के एक जाने माने कलाकार बन गए। उन्होंने अपने करियर में देशभक्ति से जुड़ी कई फिल्में की, जिनमें ‘शहीद’, ‘उपकार’, ‘क्रांति’, ‘पूरब और पश्चिम’ जैसी कई सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। अपने योगदान के लिए मनोज कुमार को 7 बार ‘फिल्मफेयर’ अवार्ड से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें ‘पद्मश्री’ और ‘दादा साहेब फाल्के’ जैसे सम्मानों से भी नवाजा गया।
उनसे जुड़े कई रोचक किस्से काफी मशहूर हैं। मनोज कुमार के नाम से लेकर फिल्मों में आने तक से, कुछ न कुछ खास जुड़ा हुआ है।
जब फिल्म देख कर बदल लिया था नाम
मनोज कुमार को बचपन से ही फिल्मों का काफी शौक था। फिल्मों को लेकर उनकी दीवानगी इस कदर थी कि उन्होंने दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ में दिलीप कुमार के किरदार के नाम पर उन्होंने अपना नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी से मनोज कुमार कर लिया।
फिल्में करने से पहले ली इस इंसान से इजाजत
मनोज कुमार को फिल्मों का शौक तो बचपन से ही था, लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक खास इंसान की इजाजत के बाद ही की। दरअसल, जब उन्हें एक फिल्म में लीड एक्टर के तौर पर काम करने का ऑफर मिला, तो उन्होंने साफ कह दिया कि वह अपनी मंगेतर की इजाजत के बिना फिल्मों में काम नहीं करेंगे। इसके बाद उन्होंने अपनी मंगेतर शशि गोस्वामी से पूछा और उनके हां कहने पर फिल्मों में काम शुरू किया।
ऐसे बने ‘भारत कुमार’
मनोज कुमार ने साल 1965 में भगत सिंह की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘शहीद’ की। इस फिल्म के लिए वह भगत सिंह की मां से भी मिले थे। इस फिल्म के सुपरहिट होने के बाद उन्होंने कई देशभक्ति फिल्में की। ज्यादातर फिल्मों में उनके किरदार का नाम भारत था, जिसके बाद लोग उन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से पुकारने लगे।
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर बनाई यह फिल्म
मनोज कुमार के प्रशंसकों में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी शामिल थे। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद लाल बहादुरर शास्त्री ने उनसे ‘जय जवान, जय किसान’ पर फिल्म बनाने का आग्रह किया। जिसके बाद मनोज कुमार ने 1967 में ‘उपकार’ फिल्म बनाई। इस फिल्म के लिए उन्होंने नेशल अवॉर्ड भी जीता था।