चेन्नई, 19 सितंबर (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हिंदी भाषा का विरोध जताने पर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की कड़ी आलोचना की है। भाजपा ने कहा कि अगर क्षेत्रीय पार्टी सही मायनों में इस भाषा के सख्त खिलाफ है तो फिर इसके सदस्यों के स्वामित्व वाले स्कूलों में सीबीएसई का सिलेबस नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसमें हिंदी पढ़ाई जाती है।
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एच. राजा ने कहा, “द्रमुक पदाधिकारियों के स्वामित्व वाले स्कूलों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्ट्रीम से राज्य बोर्ड के सिलेबस में शिफ्ट होना चाहिए।”
इस दौरान उन्होंने द्रमुक पर जमकर निशाना साधा। दरअसल, द्रमुक ने मोदी सरकार पर सभी राज्यों पर हिंदी भाषा थोपने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “पैसे कमाने के लिए वे अपने स्कूलों में हिंदी पढ़ाते हैं और राजनीति के लिए वे हिंदी का विरोध करते हैं। इस वास्तविकता को उजागर करना होगा”
राजा के अनुसार, तमिल विरोधी होना द्रमुक और उसकी मूल पार्टी द्रविड़ कड़गम (डीके) के डीएनए में है।
उन्होंने कहा, “डीके के संस्थापक ई.वी. रामासामी ने तमिल को असभ्य लोगों की भाषा बताते हुए लोगों से अंग्रेजी का अध्ययन करने का आग्रह किया था।”
आरोप का जवाब देते हुए द्रमुक के प्रवक्ता और सांसद टी.के.एस. एलनगोवन ने आईएएनएस को बताया, “रामासामी को तमिल की प्राचीनता को सभी के सामने लाने के लिए जाना जाता है। राजा गलत बता रहे हैं।”
वहीं, राजा ने भारतीय भाषा के लिए वैश्विक पहचान की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “प्रत्येक राष्ट्र की अपनी भाषा होती है। इसलिए भारत के पास ऐसी कोई भाषा क्यों नहीं है?”
इसके बाद राजा से पूछा गया कि इसके लिए तमिल भाषा क्यों नहीं हो सकती, क्योंकि यह पहले से ही एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है और श्रीलंका, सिंगापुर के साथ भारत में आधिकारिक भाषा है। इस पर उन्होंने कहा, “हिंदी तमिल की तुलना में भारत में अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है।”
राजा के अनुसार, द्रमुक तमिलनाडु में लंबे समय से सत्ता पर काबिज रही है। इसलिए वह दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की तर्ज पर उत्तर भारत तमिल प्रचार सभा जैसा संगठन खड़ा कर सकती थी।
उन्होंने द्रमुक के झांसे में न आने की बात कहते हुए कहा, “द्रमुक सकारात्मक विचार नहीं चाहती है। वे नकारात्मक हैं।”