हिंसा और एक धर्म विशेष की ध्रुवीकरण की राजनीति करती है टीएमसी : राजू बिस्ता

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नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के दार्जिलिंग से सांसद राजू बिस्ता सूर्या रोशनी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। आईएएनएस से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। पेश है विभिन्न मुद्दों पर उनसे एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश।

सवाल: गुरुदेव टैगोर, विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस की भूमि पर हो रही हिंसक राजनीति पर आप क्या कहेंगे?


जवाब : कभी ऐसा माना जाता था कि जो बंगाल आज सोचता है वो पूरा भारत कल सोचेगा। इसका वाजिब कारण भी है क्योंकि बंगाल की धरती पर स्वामी विवेकानंद, सुभाषचंद्र बोस, रविंद्र नाथ टैगोर, बंकिमचंद्र चटर्जी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे देशभक्तों, विचारकों, चिंतकों ने जन्म लिया। इसी बंगाल की भूमि से भारत भूमि को शस्य श्यामला कहा गया। लेकिन यह बंगाल का दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद बंगाल की बागडोर ऐसे लोंगों के हाथों में चली गई जिनके पास बंगाल की धरोहर को संजोकर आगे ले जाने की कोई सोच या चिंतन ही नहीं रही, जिन्हें देश और पश्चिम बंगाल की भलाई से ज्यादा अपनी कुर्सी और सत्ता से प्यार है और जिन्होनें अपनी गलत नीतियों की वजह से आज पश्चिम बंगाल को अंधकार में धकेल दिया है। आज बंगाल में ममता दीदी के राज में जो भी कुछ हो रहा है- क्या बंगाल के पूर्वजों ने कभी यह सोचा होगा कि इस जमीन पर इतनी निम्न स्तर की राजनीति भी होगी? पहले वामपंथियों ने और अब टीएमसी सरकार ने जो स्थिति पैदा कर दी है वह न केवल विचारनीय है बल्कि निंदनीय है।

सवाल: ममता बनर्जी का कहना है कि आपकी पार्टी ने बंगाल को अपनी राजनीति के लिए अशांत कर दिया है।

जवाब: सीपीआईएम की शून्य विकास और अधिकतम हिंसा की राजनीति से तंग आकर, बंगाल के लोगों ने 2011 में बदलाव (परिवर्तन) के लिए मतदान किया था और ममता जी को चुना था। लेकिन सत्ता में आने के बाद, ममताजी सीपीआईएम से अधिक क्रूर और तानाशाह हो गईं। आज टीएमसी पूरे बंगाल में व्यापक हिंसा में लिप्त है, पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने 150 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की है, 2017 में उन्होंने दार्जीलिंग हिल्स में 11 निर्दोष गोरखाओं की हत्या कर दी, आज बंगाल में हिंसा की हद है कि टीएमसी सरकार ने 2018 के बाद से राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साथ अपराध के आंकड़ों को साझा करने से भी इनकार कर दिया है। 2018 के एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में देश में हत्या के मामलों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है, सबसे ज्यादा हिंसक गतिविधियों की शिकायतें, सबसे अधिक हिंसक अपराध वाले राज्यों में बंगाल का तीसरा स्थान है, सबसे अधिक लोग बंगाल से लापता है। 64,832 महिलाएं बंगाल से गायब है। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामलों में कनविक्शन रेट लगभग 23 प्रतिशत है मगर पश्चिम बंगाल में सिर्फ 5.3 प्रतिश्त ही है। यहां आईएसआई नेटवर्क के कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया है, जमात-ए-मुजाहिदीन, यहां तक कि अलकायदा के आतंकवादियों को बंगाल में सुरक्षित पनाह मिली है, और टीएमसी नेताओं ने अपने घरों में बम बनाने के चक्कर में खुद को उड़ा लिया है। सभी जानते हैं कि राज्य में हिंसा के लिए कौन सी राजनीतिक पार्टी जिम्मेदार है।


सवाल : होने वाले बंगाल चुनाव में भाजपा क्या पिछली बार से अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी?

जवाब: जाहिर है बीजेपी न केवल पिछले चुनावों से बेहतर प्रदर्शन करेगी बल्कि प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगी। आज पूरे देश में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी को विकास और सुशासन के लिए पसंद किया जाता है, बंगाल के लोग भी अब वही विकास और सुशासन चाहते हैं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, बंगाल के लोग हिंसा, हत्या, भाई-भतीजावाद, कट-मनी और भ्रष्टाचार की राजनीति से थक चुके हैं। बंगाल के लोग विकास के पूर्ण अभाव से जूझ रहे हैं, वे पुलिस राज और टीएमसी गुंडों की तानाशाही से परेशान हैं। बंगाल में लोग माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विश्वास करते हैं और बदलाव चाहते हैं। बंगाल की जनता अब विकास की तेज रफ्तार चाहती है और ममताजी के कुशासन में यह संभव नहीं है यह केवल मोदीजी के नेतृत्व में भाजपा के साथ संभव होगा। यही कारण है कि टीएमसी दिन-प्रतिदिन और अधिक हिंसक होती जा रही है क्योंकि वे समझ रहे हैं कि उन्होंने आम लोगों का विश्वास और भरोसा खो दिया है, इसलिए वे दिन पर दिन हताश हो रहे हैं।

सवाल : क्या आप लोग बंगाल में ध्रुवीकरण और हिंदू वोट बैंक साधने की राजनीति कर रहे हैं?

जवाब: बंगाल में ध्रुवीकरण तो हो रहा है लेकिन सम्प्रदाय, जाति या धर्म के आधार पर नहीं किन्तु मोदी जी का सुशासन बनाम ममता जी का कुशासन के आधार पर। सब जानते हैं कि ममताजी 30 प्रतिशत फिक्सड डिपोजिट की राजनीति कर रही हैं। जबकि भाजपा 100 प्रतिशत की राजनीति करती आई है। हमारा मूल मंत्र ही – सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है। ममताजी के शासन में हमारी सेना के शहीद परिवार के सदस्यों को 2 लाख और 5 लाख का मुआवजा दिया गया है, जबकि मक्का, मस्जिद दुर्घटना में मरने वालों के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। अब बताइए, ध्रुवीकरण की राजनीति में कौन लिप्त है? रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य में स्वतंत्र रूप से बसने की अनुमति है, सिर्फ इसलिए कि वे एक विशेष धर्म से संबंधित हैं। क्या यह ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है? बंगाल में, सभी इमामों को कई वर्षों से 2500 रुपये का मासिक वजीफा मिलता है, लेकिन केवल कुछ मुट्ठी भर हिंदू पुजारियों को पिछले कुछ महीनों से प्रति माह 1000 रुपये दिए जाते हैं। क्या यह टीएमसी द्वारा ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है? जब टीएमसी विशेष वोट बैंक को खुश करने के लिए हमारे हिंदू धार्मिक कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया, तो क्या वह ध्रुवीकरण नहीं था? जब ममताजी ने युवाओं को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने जय श्रीराम का जाप किया था, वह ध्रुवीकरण था या नहीं?

सवाल : क्या सौरव गांगुली बीजेपी में शामिल होंगे और क्या ये चुनाव दीदी बनाम दादा होगा?

जवाब: भारतीय जनता पार्टी एक लोकतांत्रिक पार्टी है। हमारी पार्टी से पश्चिम बंगाल के सभी वर्ग के लोग जुड़ रहे है। मैं केवल एक बात बताना चाहता हूं कि हमारे पास ना तो योग्य नेताओं की कमी है, ना ही चेहरों की। आप टीएमसी में मुझे कोई दूसरा नाम बता दीजिए? लेकिन भाजपा में योग्य नेताओं और कुशल नेतृत्व की कमी नहीं है। कल क्या होगा यह तो कोई नहीं कह सकता, लेकिन यह तय है कि भाजपा एक योग्य चेहरे के साथ बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने जा रही है।

सवाल: मां, माटी और मानुष का जवाब सोनार बांग्ला दे पाएगा?

जवाब: सोनार बांग्ला हर किसी का सपना है। मां, माटी और मानुष का नारा देकर आने वाली ममताजी की सरकार का हश्र आज

क्या है? सार्वजनिक ऋण – 4.5 लाख करोड़

प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी): पश्चिम बंगाल में 1.19 लाख रु, व पूरे भारत में 1.45 लाख रु.

औद्योगीकरण और अर्थव्यवस्था की स्थिति

स्वतंत्रता के दौरान रैंक : शीर्ष

आज – 15वीं रैंक

प्रत्यक्ष लाभ/डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर

अंतिम रैंक – भारत में 36वां

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य पर औसत खर्च पश्चिम बंगाल में सबसे कम

पश्चिम बंगाल – 988 रु

ऑल इंडिया – 1482 रु

बेरोजगारी

अक्टूबर 2016 और 2020 के बीच बेरोजगारी दर में 217 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

कोविड के समय में, 10.5 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों से लौटे थे।

पिछले 9 वर्षों में, लाखों युवाओं को आजीविका की तलाश में पश्चिम बंगाल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है।

ममता बनर्जी की उद्योग विरोधी साख

बंगाल में आज माताएं और बहनें टीएमसी राज में असुरक्षित हैं। माटी को खून से रंग कर लाल कर दिया गया है और बंगाल में साधारण मानुष आज टीएमसी की पुलिस और गुंडों से डरा हुआ है। आज विकास के क्षेत्र में बंगाल सबसे पीछे जाकर खड़ा हो गया है। अब निराश बंगाल केवल और केवल सोनार बांग्ला चाहता है, लोगों ने तय कर लिया है। ऐसा बंगाल जहां सुशासन हो, जहां विकास हो, जहां शिक्षा और स्वास्थ्य सब कुछ हो। और वह केवल और केवल भाजपा ही दे सकती है।

सवाल : ममता बनर्जी के सलाहकार प्रशांत किशोर ने कहा था कि बीजेपी दहाई का आंकड़ा नहीं छू पाएगी, क्या कहेंगे?

सवाब: मैंने प्रशांत किशोरजी का ट्वीट पढ़ा था। मेरी तो यह समझ में नहीं आता कि प्रशांत किशोर जी क्या-क्या छोड़ेंगे और किसे-किसे छोड़ेंगे? उनका इतिहास और भूगोल हमें अच्छे से पता है। चुनाव कागजों पर नहीं जीते जाते हैं। जमीनी हकीकत बिलकुल अलग है।ं मैं आपको फिर से निश्चिंत करता हूं कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना रही है।

सवाल: क्या बंगाल में भ्रष्टाचार कोई चुनावी मुद्दा है?

जवाब: बंगाल में बीजेपी का विकास और टीएमसी का भ्रष्टाचार ही सबसे बड़ा मुद्दा है। ऐसा कोई क्षेत्र ही नहीं बचा जहां टीएमसी के लोगों ने भ्रष्टाचार न मचा रखा हो। टीएमसी की स्थापना की गई और चिटफंड घोटला के पैसे से पोषित किया गया। लाखों लोगों की खुन-पसीने की कमाई लगभग 45,000 करोड़ रुपये शारदा, रोजवैली और अन्य चिटफंड घोटालों में डूब गए जो सीधे टीएमसी ने डकारे हैं। उन्होंने सिंडिकेट राज को बढ़ावा दिया है और हर परियोजना से कट-मनी वसूली है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में बुनियादी ढांचे की हालत चरमरा गई है। आज स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर है, शिक्षा क्षेत्र जर्जर स्थिति में है, राज्य भर में लोग पेयजल की कमी से जूझ रहे हैं, सार्वजनिक परिवहन, सड़क और बुनियादी ढांचा भी दयनीय स्थिति में है। भ्रष्टाचार का यह स्तर है कि टीएमसी नेताओं ने अम्फान तूफान पीड़ितों को राहत देने के लिए बनाई गई धनराशि को भी नहीं छोड़ा। टीएमसी का असीमित भ्रष्टाचार ही टीएमसी को बाहर का रास्ता दिखाएगी।

सवाल: कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन क्या कुछ अच्छा कर पाएगा, पिछले चुनावों में ये दूसरे स्थान पर था?

जवाब: पिछले चुनावों का क्या नतीजा था हम उसकी समीक्षा कर चुके हैं, लेकिन याद रखिए 5 वर्ष का समय बहुत बड़ा समय होता है। बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल चुका है। 2014 में सीपीआईएम-लेफ्ट के करीब 30 प्रतिशत वोट शेयर थे, वर्ष 2019 में 7.5 रह गए। आज बंगाल से सीपीएम का एक भी सांसद नहीं चुना गया है। 2014 में कांग्रेस के 9.6 फीसदी वोट थे, जो 2019 में सिर्फ 5.5 प्रतिशत रह गए। सीपीएम और कांग्रेस आज ममता सरकार की बी टीम बनकर रह गई है और इनपर से पश्चिम बंगाल के लोगों का भरोसा बिल्कुल ही उठ चुका है। सीपीएम और कांग्रेस को वोट देना मतलब टीएमसी को वोट देने जैसा है और ये वहां के लोगों को भलीभांति पता है।

सवाल : बंगाली अस्मिता बनाम बाहरी बंगाली पर क्या हैं आपके विचार?

जवाब: मुझे इस बात पर हंसी आती है कि जिस पार्टी का पूरा चुनाव प्रचार अभियान प्रशांत किशोर संभाल रहा है उन्हें बंगाली अस्मिता के बारे में बोलते हुए शर्म भी नहीं आती। क्या प्रशांत किशोर का जन्म इडेन गार्डेन में हुआ था। पैसे देकर बाहर से ब्रेन मंगवाते हैं वो और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सेना को बाहरी कहती है। रोहिंग्या और बांग्लादेशीं घुसपैठियों को लाकर आपने बसाया – आपके लिए वह बाहरी नहीं है? लेकिन देशभक्त गोरखों जो सदियों से भारत माता की सेवा कर रहे हैं उन्हें बाहरी कहती हैं। जब बंगाल में आईएसआई और अल कायदा के आतंकी नेटवर्क अपनी जड़ें जमाते हैं तब इन्हें बंगाली अस्मिता का ध्यान नहीं आता?

सवाल: उत्तर बंगाल की अवहेलना पर आपके क्या विचार हैं?

जवाब: देखिए उत्तर बंगाल एक संसाधन से समृद्ध, सांस्कृतिक रुप से विविधता और समृद्धता के साथ-साथ रेवेन्यू सरप्लस क्षेत्र है।

यहां पर्यटन, चाय, अंतर्राष्ट्रीय. व्यापार, कृषि, शिक्षा की असीमित क्षमता होते हुए भी यह क्षेत्र बंगाल के बाकी हिस्सों से काफी पिछड़ा हुआ है। चायबागान आज बंद होने के कगार पर आ चुकी हैं। जहां मजदूरों को आज तक जमीन का पर्जा पट्टा नहीं दिया जा रहा, वहीं दूसरी तरफ रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को जमीन बांटे जा रहे हैं। हमारे राजबंशी, बंगाली, गोर्खा, आदिवासी, कोचे, मेचे, राभा, टोटो और अन्य समुदाय के लोग जो चायबागानों में सदियों से काम करते आ रहे हैं उन्हें ढंग का वेतन तक नहीं दिया जा रहा। जितना भी रेवेन्यू उत्तर बंगाल से इकट्ठा होता है उसका अधिकतर हिस्सा दक्षिण बंगाल की प्रगति पर खर्च किया जाता है। हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा, सड़क और बुनियादी ढांचों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। फिर भी पश्चिम बंगाल सरकार आंख मूंदकर बैठी हुई है। उत्तर बंगाल में इतनी सारी संभावनाओं के बाद भी इस क्षेत्र को विकास के हर पहलू पर नजरअंदाज और उपेक्षित किया जा रहा है। भाजपा इस क्षेत्र के साथ-साथ बंगाल को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए मिशन मोड पर काम करेगी। भाजपा के शासन में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ये क्षेत्र भारत की विकास का इंजन बने। हम बंगाल की समृद्ध विरासत, संस्कृति और बंगाल की विशेष पहचान को वापस स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सवाल: गोरखालैंड और गोरखाओं का मुद्दा पर क्या कहना है आपका?

जवाब: देखिए हमारी पार्टी गोरखाओं की दो प्रमुख मांग – स्थायी राजनीतिक समाधान ढूंढना और छूटी हुई 11 गोरखा जनजातियों को एसटी का दर्जा देने के लिए ²ढ़ता से प्रतिबद्ध है। गोरखाओं को प्रधानमत्री मोदी जी, अमित शाह और जे.पी नडेडाजी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है। क्योंकि वे जानते हैं कि भाजपा ही ऐसी पार्टी है जो गोखार्ओं की राष्ट्रभक्ति का सम्मान करती है। भाजपा ही गोखार्ओं के सम्मान की रक्षा करेगी उनके आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता भी भाजपा में ही है क्योंकि इसी पार्टी ने देश के लंबित मुद्दों को हल कर अपने संकल्प पत्र में देश से किए गए वादों को एक-एक कर पूरा किया। धारा 370, बोड़ोलैंड मुद्दा, तीन-तलाक, लद्दाख को यूनियन टेरीटोरी का दर्जा देने जैसे कठिन मुद्दों को गंभीरता से समझना और उसका हल करना, यह हमें विश्वास दिलाता है कि यह पार्टी गोखार्ओं के भी मुद्दों को उतने ही महत्व देकर पूरा करेगी। हमने वादा किया है, हमने जबान दी है तो हम इसे जरुर पूरा करेंगे।

–आईएएनएस

एसकेपी

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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