Independence Day 2020: देश की आजादी के जश्न मे डूबा पूरा देश, जानें इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें

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Independence Day 2020 History Importance and Significance

Independence Day 2020:  आज पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा है। भारत में हर साल 15 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है। इस दिन भारत को 200 साल तक अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2020) की 74वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी।

यह दिन भारतीय इतिहास का सबसे गौरवमयी पल है। हर साल लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के द्वारा देश को संबोधित किया जाता है। इस साल 15 अगस्त अलग तरह से मनाया जाएगा। इस साल कोरोना महामारी की वजह से बच्चों को बुजुर्गों को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा।


स्वतंत्रता दिवस हमारे स्वतंत्रता सैनानियों के त्याग को याद दिलाता है। भारत की आजादी के लिए हिंदु-मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी ने मिलकर अपने प्राणों की कुर्बानी दी और काफी संघर्ष किया। भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ.राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुखदेव, चंद्र शेखर जैसे कई वीर सपूतों के बलिदान के कारण ही आज हम आजाद भारत में सांस ले पा रहे हैं।

स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

यूरोपीय व्यापारियों ने 17वीं सदी से ही भारतीय उपमहाद्वीप में अपने पांव पसारने शुरू कर दिए थे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 18वीं सदी के अन्त तक कई राज्यों में खुद को स्थापित कर लिया था। साल 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रितानी ताज (ब्रिटिश क्राउन) अर्थात ब्रिटेन की राजशाही का हो गया।


दशकों बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके परिणामस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई एन सी) निर्माण हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद का समय ब्रितानी सुधारों के काल के रूप में जाना जाता है जिसमें मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार गिना जाता है।

इसे भी रोलेट एक्ट की तरह दबाने वाले अधिनियम के रूप में देखा जाता है जिसके कारण स्वरुप भारतीय समाज सुधारकों द्वारा स्वशासन का आवाहन किया गया। इसके परिणामस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों तथा राष्ट्रव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शुरूआत हो गई।

1930 के दशक के दौरान ब्रितानी कानूनों में धीरे-धीरे सुधार की प्रक्रिया जारी रही जिसके फलस्वरूप चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1947 में स्वतंत्रता के समय तक राजनीतिक तनाव बढ़ता गया। इस उपमहाद्वीप के आनन्दोत्सव का अंत भारत और पाकिस्तान के विभाजन के रूप में हुआ।

स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी कुछ खास बातें

-15 अगस्त 1947 को जब भारत को आजादी मिली उस वक्त भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी जश्न का हिस्सा नहीं बन सकें। क्योंकि उस दौरान वो बंगाल में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने का काम कर रहे थे।

-14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ दिया था। इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना था लेकिन महात्मा गांधी ने इसे नहीं सुना क्योंकि उस दिन वे जल्दी सोने चले गए थे।

-हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते आ रहे हैं, लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था।

-आज के दिन भारत के अलावा तीन अन्य देशों को भी आजादी मिली थी। इनमें दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आज़ाद हुआ। ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आजाद हुआ था।

-15 अगस्त को यूं तो देश आजाद हो गया था, लेकिन तक तक हमारे पास अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था, हालांकि रवींद्रनाथ टैगौर ‘जन-गण-मन’ लिख चुके थे, लेकिन इसे साल 1950 में राष्ट्र गान का दर्जा मिला।

-जिस दिन हमारा देश आजाद हुआ यानि की 15 अगस्त 1947 को, 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर था और सोने का भाव 88 रुपए 62 पैसे प्रति 10 ग्राम था।

-भारत भले ही आजाद हो चुका था, लेकिन वर्तमान राज्य गोवा भारत का हिस्सा नहीं था। उस दौरान गोवा पुर्तगालियों के अंडर में आता था, 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा को पुर्तगालियों से आजाद करवाया था।

-15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच कोई सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था। इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ जो कि भारत और पाकिस्तान की सीमाओं को अलग करती थी।

-15 अगस्त 1947 की दोपहर को नेहरु ने लॉर्ड माउंटबेटन को अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और उसके बाद इंडिया गेट के पास एक सभा को संबोधित किया।

-लार्ड माउंटबेटन ने भारत को इसलिए आजाद कराया क्योंकि इसी दिन जापान की सेना ने उनकी अगुवाई में ब्रिटेन के सामने आत्‍मसमर्पण कर दिया था।

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