एक बार फिर से चीन का तीखा रुख देखने को मिला। ताइवान को पनडुब्बी के निर्माण की तकनीक देने कारण चीन ने भारत, अमेरिका और अन्य देशों को इसके दुष्परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। चीन ने तीखी प्रक्रिया देते हुए कहा है कि ‘पनडुब्बी तकनीक का हस्तांतरण नहीं रुका, तो भारत सहित इस प्रक्रिया में शामिल देशों के साथ चीन के द्विपक्षीय रिश्ते बिगड़ जाएंगे।’ ज्ञात हो कि चीन पड़ोसी राष्ट्र ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसके साथ संबंध रखने वाले देशों के प्रति वैमनस्य का भाव रखता है।
सूत्रों के अनुसार ताइवान की पनडुब्बी बनाने की योजना को पूरा करने के लिए जिन छह कंपनियों ने डिजाइन सौंपा है, उनमें एक भारतीय कंपनी भी शामिल है। अन्य कंपनियां अमेरिका, जापान और यूरोपीय यूनियन की हैं। इसके साथ ही बता दें कि ताइवान को हथियार बेचने और किसी भी तरह के सैन्य संबंध स्थापित करने का चीन हमेशा से सख्त विरोध करता आया है और ताइवान को लेकर उसकी पूर्व नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिइंग ने ताइवान को सैन्य मदद पहुंचाने के इस प्रयास पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि ‘हम अमेरिका और बाकी देशों से अनुरोध करते हैं कि वे ताइवान से संबंधित मामले की गंभीरता को समझें और वन चाइना नीति का सम्मान करें।’ चीन ने यह भी साफ कर दिया है कि ‘वो ताइवान की पनडुब्बी निर्माण की परियोजना को आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा और नाहीं सैन्य ताकत बनने का उसका सपना पूरा नहीं होने दिया जाएगा और अगर उसका रुख नहीं बदला तो ताइवान को चीन की मुख्य भूमि में शामिल होने वाला कदम भी उठाया जा सकता है।’
बताते चलें कि भारत के ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं हैं, लेकिन नई दिल्ली स्थित ताइपे इकोनोमिक कल्चरल सेंटर इस द्वीपीय राष्ट्र के दूतावास के रूप में कार्य करता है।