मशहूर साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का आज 93वां जन्मदिन है। उनका जन्म 14 जनवरी, 1926 को आज के बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुआ था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विटर पर महाश्वेता देवी को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
यूं तो महाश्वेता देवी बंगाल से आती थीं और मूल रूप से बांग्ला भाषा की लेखिका थीं, लेकिन इसके बावजूद वह हर भाषा, हर समाज में एक सम्मानित हस्ती हैं। वह भारत की प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका थीं। महाश्वेता देवी ने 1936 से 1938 तक शांतिनिकेतन में शिक्षा हासिल की थी। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में बीए और एमए की डिग्री हासिल की थी।
साहित्यकार से पहले कहीं ज्यादा वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। बांग्ला भाषा में अपने बेहद संवेदनशील और वैचारिक लेखन से उन्होंने संपूर्ण भारतीय साहित्य को समृद्धशाली बनाया। वहीं, लेखन के साथ-साथ उन्होंने पूरी जिंदगी स्त्री अधिकारों, दलितों और आदिवासियों के हितों के लिए व्यवस्था से संघर्ष किया।
महाश्वेता देवी ने जाने माने नाटककार बिजोन भट्टाचार्य से शादी की थी। भट्टाचार्य ‘इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन’ के संस्थापक सदस्य थे। बेटे नवारुण के जन्म के बाद दोनों 1962 में अलग हो गए। महाश्वेता देवी के करीबी लोगों का कहना है कि पति से अलग होने के बाद महाश्वेता देवी को मानसिक पीड़ा और वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा।
लोकतंत्र में लोक ही सर्वोपरि
सामान्यतया ऐसा होता आया है कि लेखक या कलाकार खुद को राजनीतिक पचड़े से दूर ही रखते हैं। वह सियासी समझ रखने के बावजूद राजनीतिक बयानबाजी से बचते हैं, मगर महाश्वेता देवी इस मामले में अपवाद थीं। वे न सिर्फ बेहतरीन लेखिका थीं, बल्कि उन्होंने आदिवासियों अधिकारों के लिए भी काम किया। देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी समाज के लिए किये गए काम बेहद उल्लेखनीय हैं।
जब पश्चिम बंगाल में वामपंथी पार्टियों की सरकार थी और लंबे समय तक सत्ता की बागडोर संभालने के बावजूद उन्हें लगा कि वे अच्छा काम नहीं कर रहे तो वह विपक्ष के मंच पर जा चढ़ीं। सत्ता की आंख में आंख डालकर उन्होंने इस बात का एहसास दिलाने की कोशिश की कि लोकतंत्र में लोक ही सर्वोपरि होता है। सरकारें तो आती-जाती रहती हैं।
महाश्वेता देवी की कृतियां
बता दें, एक लेखक की सबसे बड़ी कसौटी और सफलता यही होती है कि उसकी कृतियां दुनिया की अलग-अलग भाषाओं में अनुवादित हों। महाश्वेता देवी की कृतियां ‘हजार चौरासी की मां’, ‘अग्निगर्भ’ और ‘जंगल के दावेदार’ को कल्ट कृतियों के तौर पर जाना और पढ़ा जाता है। उनकी रचना ‘हजार चौरासी की मां’ पर फिल्म भी बनी।
साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार भी दिया जा चुका है। साथ ही राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता की वजह से उन्हें रमन मैग्सेसे और पद्म विभूषण से भी नवाजा गया। 28 जुलाई 2016 को महाश्वेता देवी का कोलकाता में निधन हो गया था।