हिंदी की प्रख्यात लेखिका कृष्णा सोबती का निधन

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हिंदी की प्रख्यात लेखिका और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कृष्णा सोबती का लंबी बीमारी के चलते 93 वर्ष की आयु में शुक्रवार को यहां निधन हो गया। उनकी रिश्तेदार अभिनेत्री एकावली खन्ना ने उनकी मृत्यु की पुष्टि करते हुए कहा, “आज यहां एक अस्पताल में उनका निधन हो गया।

पिछले कुछ महीनों में उनकी तबीयत खराब चल रही थी और अक्सर अस्पताल उन्हें आना-जाना पड़ता था।”


खन्ना ने कहा, “उन्होंने पिछले महीने अस्पताल में अपनी नई किताब लॉन्च की थी। अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद वह हमेशा कला, रचनात्मक प्रक्रियाओं और जीवन पर चर्चा करती रहती थी।”

18 फरवरी, 1925 को जन्मीं सोबती ने अपने उपन्यास ‘जिंदगीनामा’ के लिए 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता था। भारतीय साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें 2017 में ज्ञानपीठ से भी सम्मानित किया गया था।

सोबती को उनके 1966 के उपन्यास ‘मित्रो मरजानी’ से ज्यादा लोकप्रियता मिली, जिसमें एक विवाहित महिला की कामुकता के बारे में बात की गई थी। उनकी अन्य प्रशंसित रचनाओं में ‘सूरजमुखी अंधेरे के’, ‘यारों के यार’ और ‘डार से बिछुड़ी’ शामिल हैं।


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