जेपी की तलाश एक बार फिर जारी है

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लोक नायक जय प्रकाश नारायण की तलाश एक बार फिर जारी है

आज लोक नायक जय प्रकाश नारायण का जन्‍म दिन है आज यदि वे हमारे बीच में होते तो 115 वर्ष के होते लेकिन 8 अक्‍टूबर 1979 को उनका 77 वर्ष की आयु में देहांत हो गया ।

बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा में घाघर नदी के किनारे जन्‍म हुआ था ।पिता हरसुदयाल राज्‍य सरकार के नहर विभाग में कार्यरत थे ,मॉ का नाम फूलरानी था ,पटना में स्‍कूली शिक्षा प्राप्‍त करने के बाद 1920 में 18 वर्ष की आयु में प्रभावती देवी जी से, जिनकी उम्र 14 वर्ष थी ,विवाह हो गया । तभी महात्‍मा गांधी ने रॉलेट एक्‍ट के खिलाफ आन्‍दोलन शुरू किया था , मौलाना आजाद के भाषण से प्रभावित होकर जेपी ने कॉलेज छोड़ दिया तथा राजेन्‍द्र प्रसाद द्वारा स्‍थापित बिहार विद्यापीठ में दाखिला लिया ।


8 अक्‍टूबर 1922 को अमेरिका के केलिर्फोनिया में उच्‍च शिक्षा के लिए पहुंचे बरकले में दाखिला लिया फीस जुटाने के लिए होटलों में वर्तन धोने से लेकर मिल में काम किया। विश्‍वविघालय द्वारा फीस दुगुनी कर देने के कारण यूनिवर्सिटी ऑफ लोया में दाखिला लिया। 1917 के रूसी क्रांति से विशेष तौर पर प्रभावित हुए। 1924 में अमेरिका से भारत वापस लौटे । महात्‍मा गांधी के सानिध्य में रहकर राजनिति की। 1932 में ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर नासिक जेल में रखा, जहां उनकी मुलाकात समाजवादी विचार के डॉ राम मनोहर लोहिया, मीनू मसानी, अच्युत पट्वर्धन, अशोक मेहता, वसावन सिंह, युसुफ मेंहरअली, नारायण स्‍वामी से हुई । 17 मई 1934को पटना के अंजुमन इस्‍लामिया हॉल में कांग्रेस सोशलिस्‍ट पार्टी के गठन की रूप रेखा बनी, जिसमें आचार्य नरेन्‍द्र देव अध्‍यक्ष एवं जय प्रकाश नारायण सचिव बनाये गये।

9 अगस्‍त को गांधी जी ने अग्रेंजो भारत छोड़ो का नारा दिया तब जेपी जेल में थे। हजारी बाग जेल से योगेन्‍द्र शुक्‍ला, सूरज नारायण सिंह, गुलाब चंद गुप्‍ता, रामानंद मिश्र, शालिगराम सिंह के साथ जेल से भागने के बाद पुन: गिरफ़्तार कर लिये गये। अग्रेजो द्वारा लाहौर जेल में डॉ लोहिया और जेपी को प्रताडि़त किया गया। गांधी जी के सभी कांग्रेसी नेताओं को छोड़ देने के बावजूद जब जेपी और लोहिया को अग्रेजों ने नहीं छोड़ा , तब महात्‍मा गांधी ने दोनों समाजवादी नेताओं का गुण गान करते हुए व्‍यक्तिगत हस्‍तक्षेप कर जेल से छुड़वाया। आज़ादी के आंदोलन में जे पी ने कई बार जेल यात्राएं की ।1947 से 1953 तक जे पी रेलवे की सबसे बड़ी युनियन ,ऑल इण्डिया रेलवेमेन्‍स फेडरेशन के अध्‍यक्ष रहे। उन्होंने पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज का गठन किया ।आजादी का लक्ष्‍य हासिल होने के बाद समाजवादी, कांग्रेस सोशलिस्‍ट पार्टी से कांग्रेस शब्द हटाकर सोशलिस्‍ट पार्टी बनाकर कार्य करने लगे।

1952 का पहला आम चुनाव जेपी ,डॉ लोहिया के नेतृत्व में तथा आचार्य नरेन्‍द्र देव के मार्गदर्शन में लड़ा गया लेकिन सोशलिस्‍ट पार्टी को 10 प्रतिशत मत प्राप्‍त हुए ।बाद में जेपी बिनोवा भावे जी से प्रभावित होकर सर्वोदय की ओर मुखातिव हुए तथा लगातार रचनात्‍मक कार्यो में जुटे रहे। 1974 में छात्र आन्‍दोलन का नेतत्‍व कर रहे नेताओं ने जेपी के पास पहुचकर उनसे आन्‍दोलन का नेतृत्व करने का आग्रह किया। 8 अप्रैल 1974 को पटना में जेपी के नेतत्‍व में जुलुस निकला जिस पर सरकार ने लाठिया बरसाई। जिसके खिलाफ 5 जुन को गांधी मैदान में इतिहासिक सभा हुई, जिसमें जेपी ने संपूर्ण क्रांति का आव्‍हान किया ।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया तब जेपी ने इंदिरा गांधी और राज्‍य की कांग्रेस सरकारों से इस्‍तीफे की मांग की।


25 जुन 1975 को इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर जे पी को गिरफतार कर लिया। दिल्‍ली के रामलीला मैदान में हुई एतिहासिक आम सभा में राष्‍ट्कवि दिनकर ने सिंहासन खाली करो कि जनता आती है, का कविता पाठ किया। सरकार द्वारा पुन: गिरफतार कर लिया गया। अन्‍तरराष्‍टी्य स्‍तर पर जेपी को रिहा कराने के लिए नोबल पुरूस्‍कार विजेता नोवेल बेकरन ने अन्‍तरराष्‍टी्य अभियान शुरूर होडा के नेतृत्व में चलाया। 18 जनवरी 1977 को इमरजेंसी हटा दी गई ,जेपी ने 4 विपक्षी दलों से एकजुट होकर जनता पार्टी का गठन कराया।

देश में आजादी के 30 वर्षो बाद पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। लोकतंत्र बहाली के आन्‍दोलन का सफल संचालन करने का श्रेय जेपी को जाता है। जेपी को 1965 मेंगासेसे आवार्ड से सम्‍मानित किया गया। 1999 में उन्‍हें भारत रत्‍न से नवाजा गया। पटना के हवाई अड्डे का नाम लोकनायक जय प्रकाश नारायण रखा गया ।
जेपी के शरीर त्यागने के बाबजूद जेपी की जरूरत रही , कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ जब बी पी सिंह बोफोर्स घोटाले के मुद्दे को लेकर निकले तब एक बार फिर विपक्ष गोलबंद हुआ, लोगो ने वी. पी .के भीतर जेपी को देखने की कोशिश की, सत्ता परिवर्तन भी हुआ ,जनता दल के नेतृत्व में सरकार बनी लेकिन बात नही बनी।
फिर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे जी से लोगो को उम्मीद बनी ,भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के चलते कांग्रेस सरकार चली गई लेकिन अब फिर मोदी सरकार से मुक्ति के लिए देश एक जेपी की तलाश में है|

देश के तमाम नेता, संगठन, पारटियाँ लोकनायक जय प्रकाश नारायण का नाम लेती है। आज जब देश में साम्प्रदायिक हिंसा ,जाति हिंसा, बेरोज़गारी महंगाई, भ्रष्टाचार, जल जंगल जमीन की कॉरपोरेट लूट चरम पर है ,संविधान तक पर खतरा मंडरा रहा है ,तब पूरे देश की परिवर्तनकारी ताकतें नये जेपी की की तलाश में है ,जो भाजपा – एन. डी. ए. के खिलाफ संपूर्ण विपक्ष को लामबंद कर सके ।

लड़ाकू विमान रफेल की खरीद में 30 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप सीधे सीधे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगा है ।प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा से लेकर अरुण शौरी तक मैदान में है,विपक्षी पार्टियां एकजुट होने की प्रक्रिया में हैं ,आज भी जेपी की तलाश एक बार फिर जारी है|

(डॉ सुनीलम, पूर्व विधायक ,मुख्य प्रवक्ता समाजवादी पार्टी)

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