भारत में नौसेना की स्थापना पहली बार 1612 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी जहाजों की सुरक्षा के लिए की थी। लेकिन समय के साथ इसकी प्रशासनिक व्यवस्था और जिम्मेदारी बदलती गई और यह भारतीयता के रंग में रंगती चली गई।
जब अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए भारत आए तो उन्होंने अपने समुद्री जहानों की सुरक्षा के लिए नौसेना का गठन किया था। इसे बाद उन्होंने इसे रॉयल इंडियन नौसेना का नाम दे दिया था। भारत की आजादी के बाद 1950 में नौसेना का पुर्नगठन कर दिया गया था। भारत की नौसेना विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी नौसेना है।
साल 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना के कारनामे तब मिसाल बन गए जब कराची हमले में पाकिस्तान को तबाह कर दिया। भारतीय नौसेना ने 4 दिसंबर 1971 को ऑपरेशन ट्राइडेंट शुरू किया था। भारत ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर भारी बमबारी करके उसे बुरी तरह से तबाह कर दिया था। इसी अभियान की शानदार सफलता के चलते ही हर साल भारतीय नौसेना दिवस 4 दिसंबर को मनाया जाता है।
भारत की तीनों सेनाओं ने बांग्लादेश की मुक्ति के दौरान 1971 के युद्ध में शानदार प्रदर्शन किया था। भारतीय नौसेना ने इसी दौरान पाकिस्तान की पीएनएस गाजी पनडुब्बी को भी जल में दफन कर दिया था। भारत के युद्धपोत आईएनएस-विक्रांत की इस पराक्रम में शानदार भूमिका थी। इससे पहले भारतीय नौसेना ने 1965 के युद्ध में भी शानदार प्रदर्शन किया था।
जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष छेड़ दिया था तो रॉयल इंडियन नेवी के भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया और 18 फरवरी 1946 को HIMS तलवार नाम के जहाज पर भारत की आजादी का ऐलान कर दिया था। नौसेना के सैनिकों का ये विद्रोह तेजी से 78 जहाजों और करीब 20 समुद्री तटों तक पहुंच गया था।