Indira Ekadashi 2020: इंदिरा एकादशी आज, इस व्रत की कथा सुनने से पितरों को मिलता है मोक्ष

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Param Ekadashi will be celebrated on October 13 know auspicious time and importance of this fast

Indira Ekadashi 2020: आज देशभर में इंदिरा एकादशी मनाई जा रही है। पौराणिक मान्यता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत रखना, भगवान विष्णु की पूजा और इंदिरा एकादशी व्रत कथा सुनना पुण्यकारी होता है। इस व्रत को रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इंदिरा एकादशी में व्रत कथा सुनना जरूरी होता है, वरना एकादशी का व्रत अधूरा माना जाता है।

इस व्रत के दिन इन कामों को करने से यश, धन वैभव बढ़ता है। भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर की इंदिरा एकादशी की कथा बताते हुए महिमा गाई थी। कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो भी मनुष्य यह व्रत करते हुए इंदिरा एकादशी की कथा  सुनता है उसे वायपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।


इंदिरा एकादशी की व्रत कथा-

पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में महिष्मति नाम का एक नगर था। जिसका राजा इंद्रसेन था। इंद्रसेन एक बहुत ही प्रतापी राजा था। राजा अपनी प्रजा का पालन-पोषण अपनी संतान के समान करते था। राजा की प्रजा को किसी को भी किसी चीज की कमी नहीं थी। राजा भगवान विष्णु का परम उपासक था।

एक दिन अचानक नारद मुनि का राजा इंद्रसेन की सभा में  पहुंच। नारद मुनि राजा के पिता का संदेश लेकर पहुंचे थे। राजा के पिता ने कहा था कि पूर्व जन्म में किसी भूल के कारण वह यमलोक में ही हैं। यमलोक से मु्क्ति से के लिए उनके पुत्र को इंदिरा एकादशी का व्रत करना होगा, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सकें।


पिता का संदेश सुनकर राजा इंद्रसेन ने नारद जी से इंदिरा एकादशी व्रत के बारे में बताने को कहा। तब नारद जी ने कहा कि यह एकादशी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। एकादशी तिथि से पूर्व दशमी को विधि-विधान से पितरों का श्राद्ध करने के बाद एकादशी को व्रत का संकल्प करें।

नारद जी ने कहा कि इस तरह से व्रत रखने से तुम्हारे पिता को मोक्ष की प्राप्ति होगी और उन्हें श्रीहरि के चरणों में जगह मिलेगी। राजा इंद्रसेन ने नारद जी के बताए अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत किया। जिसके पुण्य से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वे बैकुंठ चले गए। इंदिरा एकादशी के पुण्य प्रभाव से राजा इंद्रसेन को भी मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति हुई।

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