ये हैं बिहार की 63 वर्षीय राजकुमारी देवी, जिन्हें लोग अब किसान चाची के नाम से पुकारते हैं। घर की दहलीज के पार खेत में कदम रख मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड के आनंदपुर गांव की राजकुमारी देवी पहले ‘साइकिल चाची’ और फिर ‘किसान चाची’ बनीं। पहले उन्हें किसानश्री और अब पद्मश्री से नवाजा गया है। राजकुमारी देवी समाज के लिए आदर्श बन गई हैं। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें यह पुरस्कार दिया है।
मुजफ्फरपुर शहर से करीब 30 किमी दूर सरैया प्रखंड का आनंदपुर गांव। यहां के एक घर का कोना-कोना कृषि उत्पादों से अटा पड़ा है। आम, अदरख, ओल के अचार तो आंवला व बेल के मुरब्बे की खुशबू आपको बरबस यहां खींच लेगी। छोटी सी किसानी से भी परिवार कैसे खुशहाल हो सकता है, यह घर इसकी मिसाल है। इसके पीछे है 63 वर्षीय राजकुमारी देवी का त्याग और समर्पण। शादी के नौ वर्ष तक संतान नहीं होना और पति की बेरोजगारी के कारण घर की दहलीज से बाहर कदम रखने वाली एक बहू को समाज व परिवार से बहिष्कृत कर दिया गया था।
मगर, उस बहू की दृढ़ इच्छाशक्ति को उसी समाज ने आज किसान चाची का न केवल नाम दिया, बल्कि सम्मान भी दिया। किसान चाची कहती हैं, “मैं अक्सर देखती थी कि महिलाएं सिर्फ खेत में मजदूरी करते हुए ही नजर आती थीं। उन्हें किसी प्रकार का कृषि तकनीकी ज्ञान नहीं हुआ करता था। वे सिर्फ पुरुषों के बताए अनुसार ही कार्य करती थीं। जब महिलाएं खेत में मेहनत करती ही हैं तो क्यों ना बेहतरीन कृषि तकनीक सीख कर मेहनत करें। मैंने तय किया कि मैं पहले खुद कृषि तकनीकी ज्ञान लूंगी और साथ ही दूसरी महिलाओं को इसके लिए प्रेरित करूंगी।”
President Kovind presents Padma Shri to Smt Raj Kumari for Agriculture. Popularly known as Kisan Chachi, she is a social worker, and has worked for health and education, child marriage abolition and widow rights and remarriage pic.twitter.com/8PSRKkxn92
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 11, 2019
राजकुमारी कहती हैं, करीब 15 वर्ष की उम्र में 1974 में शादी हो गई। शिक्षक पिता ने प्यार से पाला था, मगर ससुराल में स्थिति उलट थी। जब तक कुछ समझते परिवार ने अलग कर दिया। सिर्फ जमीन से परिवार चलाना संभव नहीं था।
शादी के कई वर्ष तक संतान नहीं होने के कारण पहले से तिरस्कार झेल रही थी। उस पर से खेती शुरू की। परिवार के साथ अब समाज ने बहिष्कृत कर दिया। मगर, राजकुमारी के कदम नहीं रुके। उन्होंने खेती के साथ छोटे-मोटे कृषि उत्पाद बनाने शुरू किए। साइकिल उठाई और मेला-ठेला व घर-घर जाकर इसकी बिक्री शुरू की। भूखे रहने पर नहीं पूछने वाला समाज दो रोटी कमाने के इस तरीके पर और सख्त हो गया। यहां तक कि पति भी नाराज थे । पति अवधेश कुमार चौधरी कहते हैं, साइकिल से सामान बेचना अच्छा नहीं लगा। महिलाओं का साइकिल चलाना अच्छा नहीं माना जाता था।
कुछ बेहतर करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लिया। बिहार के पूसा कृषि विश्वविद्यालय से जुड़कर आधुनिक तरीके से खेती के गुर सीखे। अचार व मुरब्बे के काम को बढ़ाया। आसपास की महिलाएं व युवतियों को प्रशिक्षण दिलाकर इस काम में लगाया। स्थिति बदलने लगी। 1983 में बेटी पैदा हुई, तब भी ताने ही मिले। दो बेटी व एक बेटा के रूप में तीन संतानें भी जन्म लीं।
महज डेढ़ सौ रुपये से शुरू किया गया कारोबार बढ़ता गया। इसके साथ ही नाम भी। बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में किसानश्री से सम्मानित किया। यह सम्मान पानी वालीं एकमात्र महिला थीं। इस सम्मान के बाद ही ‘साइकिल चाची’ का नाम किसान चाची हो गया। अब किसान चाची के साथ 250 महिलाएं जुड़ी हैं, जो अचार-मुरब्बा तैयार करती हैं। अब वह साइकिल के बजाए स्कूटी से चलती हैं। उनके प्रोडक्ट विदेशों में निर्यात होते हैं।
अब तक 40 स्वयं सहायता समूह का कर चुकी हैं गठन
राजकुमारी देवी गांव-गांव जाकर व महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाने लगीं। वह साइकिल से ही 40-50 किलोमीटर की दूरी तक चली जाती थी। उन्होंने महिलाओं को खेती, फूड प्रोसेसिंग और अचार बनाने के तरीके सिखाए। अब तक राजकुमारी देवी ‘किसान चाची’ 40 स्वयं सहायता समूह का गठन कर चुकी हैं।
प्रशंसकों में नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार भी
अचार व मुरब्बे की खुशबू की तरह किसान चाची का नाम भी फैलने लगा। अहमदाबाद में उनकी इस लगन की तारीफ नरेंद्र मोदी ने भी की थी। तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इनकी खेती व छोटे से कारोबार को देखने इनके घर आए थे।
अमिताभ बच्चन ने फोन कर मुंबई बुलाया
तब मैंने दिल्ली के प्रगति मैदान में अपना स्टॉल लगाया था। मोबाइल पर एक फोन आया। पति ने उठाया तो आवाज आई ‘मैं अमिताभ बच्चन बोल रहा हूं। बताया गया कि एक कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर अमिताभ बच्चन बात करना चाह रहे हैं। बात हुई तो मुंबई बुलाया गया। बस क्या था, पकड़ ली मुंबई की फ्लाइट। कार्यक्रम के बाद पांच लाख रुपये, आटा चक्की व साडिय़ां किसान चाची को भेजे गए। राशि से कारोबार में काफी मदद मिली।