International Women’s Day 2021: ये हैं बॉलीवुड की महिला सशक्तिकरण पर बनी 5 मशहूर फिल्में

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International Women’s Day 2021: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day 2021) हर साल 8 मार्च को विश्व में मनाया जाता है। महिला दिवस (Women’s Day) की शुरुआत 1911 से हुई और धीरे-धीरे ये दिवस एक समुदाय या लिंग की परिभाषाओं से ऊपर उठकर विश्व में अपनी पहचान बनाता गया , आज विश्व की आधी आबादी इसे अपने अधिकार दिवस के जश्न के रूप में मनाती है।

बॉलीवुड ने भी महिलाओं के महत्व को समझा और इस बात को समय समय पर अपनी फिल्मों के जरिये ये बताने की कोशिश की है कि समाज में औरतों का क्या योगदान है और भारतीय महिलाओं ने अपनी हिम्मत अपने हौसले से किस्मत को अपने सामने झुकने को मजबूर किया है। हम आपको बताने जा रहे है बॉलीवुड की कुछ ऐसी चुनिंदा महिला प्रधान फिल्मों के बारे में जिन्हे आप जब भी देखेंगे, एक नयी प्रेरणा नयी ऊर्जा का संचार पाएंगे।


1. श्रीदेवी (मॉम – इंग्लिश विंग्लिश)

श्रीदेवी भले ही अब हमारे बीच नहीं रही हों, लेकिन उनका यादगार काम हमेशा लोगों को हंसाता और रुलाता रहेगा। श्रीदेवी शादी के कुछ साल तक फिल्मों से दूर रहीं लेकिन जब साल 2012 में उन्होंने वापसी की तो हर किसी ने उन्हें सलाम किया। श्रीदेवी की 2012 में आई फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ ने लोगों को काफी प्रभावित किया था, इस फिल्म उन्होंने घरेलू पत्नी का किरदारा निभाया था। इतना ही नहीं, उनकी पिछले साल आई एक और फिल्म ‘मॉम’ ने लोगों के दिलों को जीत लिया, यह फिल्म भी एक महिला और एक मां पर आधारित थी।

2. प्रियंका चोपड़ा (मैरी कॉम)


मैरी कॉम एक भारतीय हिंदी बॉलीवुड फिल्म है जो 2014 में सिनेमा घरों में प्रदर्शित हुई थी। जिसका निर्देशन ओमंग कुमार ने किया था। यह एक जीवनी फ़िल्म है जो मुक्केबाज मैरी कॉम पर आधारित है जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने लीड रोल निभाया था।

3. विद्या बालन (कहानी – द डर्टी पिक्चर)

द डर्टी पिक्चर 2011 में बनी सिल्क स्मिता की जीवनी पर आधारित हिन्दी फिल्म है। विद्या बालन, नसीरुद्दीन शाह और इमरान हाशमी ने फिल्म में मुख्य किरदारों की भूमिका निभाई है। उनकी एक और फिल्म ‘कहानी’ को भी काफी सराहना मिली थी। इसमें भी वह एक प्रेग्नेंट लेडी का किरदार निभाया, जिसमें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं, विद्या बालन की दोनों ही फिल्में महिलाओं पर आधारित हैं।

4. लज्जा (2001)

राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘लज्जा’ उस भारतीय परंपरा के मुँह पर एक जोरदार तमाचा थी जिसके अंतर्गत एक तरफ बेटी को देवी मान पूजा जाता है और दूसरी तरफ उसी बेटी के पैदा होने पर उसे अभिशाप समझ कर मार दिया जाता है। समाज के हर वर्ग में केवल औरत को ही लोक लाज का जिम्मा सौपने वाली प्रथा की मुखालफत करती यह फिल्म बड़ी स्टारकास्ट के साथ साल 2001 में रिलीज हुई थी।

5. थप्पड़

एक ऐसे मिलियू में जहां वैवाहिक बलात्कार को सामान्यीकृत किया जाता है, एक थप्पड़ एक बड़ा अपराध नहीं है, जिसमें एक चर्चा और अभी तक ‘थप्पड़’, अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित, और टी-सीरीज़ के भूषण कुमार द्वारा सह-निर्मित, जो पूछा जाए यह तय करने का अधिकार है कि एक रिश्ते में एक रेखा पार की गई है या नहीं। जो पति अपनी पत्नी या उस पत्नी को थप्पड़ मारता है जो यह नहीं भूलती है कि लापरवाही से उसकी गरिमा कुछ भी नहीं रह गई थी। यह “सिर्फ एक थप्पड़” अपरिपक्व है। घरेलू दुरुपयोग का एक भी उदाहरण क्यों होना चाहिए यह सवाल फिल्म से पूछा गया है। तापसे पन्नू और दीया मिर्ज़ा को शक्तिशाली भूमिकाओं में अभिनीत, ‘थप्पड़’ एक पंच के रूप में पेश करती है क्योंकि यह गहरे बैठे हुए पितृसत्तात्मक रवैये पर सवाल उठाती है जो महिलाओं के प्रति हिंसा और अनादर की अनुमति देती है।

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