IAS पूजा खेडकर के दिव्यांग सर्टिफिकेट को लेकर शुरू हुआ विवाद कई अन्य अधिकारियों को भी अपनी चपेट में लेता जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई अधिकारियों के नाम, उनकी रैंक और उनके कोटे को लेकर दावे किए जा रहे हैं कि उन्होंने फर्जी EWS, जाति प्रमाण पत्र या फिर दिव्यांगता सर्टिफिकेट का उपयोग करके अपनी रैंक बढ़ाई या परीक्षा में अनुचित लाभ प्राप्त किया। इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश की सिद्धार्थनगर जनपद की पुलिस अधीक्षक IPS प्राची सिंह ने सोशल मीडिया पर जमकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
‘नौकरी करनी है तो अपने दम पर करो’
IPS प्राची सिंह ने एक्स पर लिखा, “कई UPSC कैंडिडेट EWS/PH इत्यादि का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर अनुचित लाभ लेकर सर्विस में आ रहे हैं। कुछ लोग हर प्रकार से समृद्ध होने के बावजूद भी OBC क्रीमी लेयर का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। आप लोगों को शर्म आनी चाहिए। नौकरी करनी है तो अपने दम पर करो, कब तक दूसरों का हक खाते रहोगे।”
(Prachi Singh IPS) प्राची सिंह ने यह भी लिखा कि यह उनके निजी विचार हैं और किसी को बुरा मानने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, “बुरा मानने की आवश्यकता नहीं है। बाकी जो सच है, वो सच है। सरकार को गुमराह करना बंद करिए, उससे पहले खुद को गुमराह करना बंद कर दीजिए।”
मेरे पर्सनल विचार हैं । बुरा मानने की आवश्यकता नहीं है । बाक़ी जो सच है वो सच है ।
Stop misguiding government and moreover stop misguiding yourself.— Prachi Singh (@prachiIPS) July 16, 2024
विवाद की जड़ और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस विवाद की जड़ IAS पूजा खेडकर का दिव्यांग सर्टिफिकेट है, जिसके बाद कई अधिकारियों के नाम भी सामने आए हैं। सोशल मीडिया पर कई अधिकारियों के नाम और उनके कोटे को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि कुछ अधिकारियों ने फर्जी EWS, जाति प्रमाण पत्र या दिव्यांगता सर्टिफिकेट का उपयोग कर अपनी रैंक बढ़ाई या परीक्षा पास की। इससे पहले भी, कुछ अधिकारियों ने विवादित सर्टिफिकेट का सहारा लेकर प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश किया है।
IPS प्राची सिंह की पृष्ठभूमि
प्राची सिंह 2017 बैच की IPS अधिकारी हैं और उन्होंने पहले ही प्रयास में UPSC क्रैक कर लिया था। उनकी 154 रैंक आई थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से LLB और भोपाल के NLIU से LLM की पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने LLM के दौरान नेट JRF की परीक्षा भी पास की थी। प्राची सिंह अपने बेबाक अंदाज और फील्ड में सक्रियता के लिए जानी जाती हैं।
सोशल मीडिया पर बढ़ती नाराजगी
इस विवाद के बाद, सोशल मीडिया पर कई चर्चित अधिकारियों के नाम सामने आए हैं और उनकी पुरानी वीडियो भी वायरल हो रही हैं। इसके चलते कई अधिकारियों ने अपने सोशल मीडिया हैंडल डिएक्टिवेट कर दिए हैं। सोशल मीडिया यूजर्स मांग कर रहे हैं कि इन अधिकारियों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए और अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाए।