नई दिल्ली, 30 सितम्बर (आईएएनएस)। जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व छात्र डॉ. शुभादीप चटर्जी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के सर्वोच्च अवार्ड शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें जैविक विज्ञान की श्रेणी में वर्ष 2020 के लिए, भारत का यह सबसे बड़ा विज्ञान पुरस्कार मिला है।
डॉ. शुभादीप चटर्जी 1993 में जामिया के जीवविज्ञान विभाग में शामिल हुए और 1996 में उन्होंने विश्वविद्यालय से बीएससी बायोसाइंस का अपना कोर्स पूरा किया।
इन दिनों डॉ. चटर्जी, तेलंगाना के हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक (सीडीएफडी) में-प्लांट-माइक्रोब इंटरैक्शन पर बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।
जामिया प्रशासन ने आधिकारिक वक्तव्य जारी करते हुए कहा, “डॉ. चटर्जी को यह पुरस्कार, एक रिवर्सेबल, नान जेनेटिक बैक्टीरियल सेल्स की उस प्रक्रिया को पहचानने के लिए दिया गया है जिससे, बैक्टीरिया कोशिकाएं अपनी आबादी को नियमित करती हैं। इस प्रक्रिया को कोरम सेंसिंग (क्यूएस) के रूप में जाना जाता है। इस खोज ने अपने प्रकाशन के बाद से ही विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में भूमिका निभाई है। इससे बैक्टीरिया में क्यूएस के सैद्धांतिक मॉडलिंग के शोध में वैज्ञानिकों की रूचि और ज्यादा बढ़ी है।”
जामिया प्रशासन के मुताबिक उनके इस शोध के बाद से आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण प्लांट पैथेजेंस (जैंथोमोनस) को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली है। डॉ. चटर्जी के शोध ने उन मौलिक प्रणालियों पर रोशनी डाली है, जो बैक्टीरिया सामाजिक कम्युनिकेशन के लिए इस्तेमाल करते हैं।
इससे पहले, डॉ. चटर्जी इनोवेटिव यंग बायोटेक्नोलॉजिस्ट अवार्ड (आईवाईबीए-2009) और भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से नेशनल बायोसाइंस अवार्ड फॉर कैरियर डेवलपमेंट जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।
इसके अलावा, वह नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (एनएएसआई), इंडिया के फैलो और प्रतिष्ठित गुहा अनुसंधान कान्फ्रेंस (जीआरसी, इंडिया) के सदस्य हैं।
— आईएएनएस
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