जैव-विविधता कानून के विरुद्ध है केरल का डीप-सी फिशिंग प्राजेक्ट

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तिरुवनंतपुरम, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केरल में 5,000 करोड़ रुपये के निवेश वाले डीप-सी फिशिंग प्रोजेक्ट के विस्तार व उन्नयन के लिए प्रदेश सरकार के केएसआईडीसी और एक निजी कंपनी ईएमसीसी इंटरनेशनल इंडिया (प्राइवेट लिमिटेड) के बीच एमओयू भारतीय जैव विविधता अधिनियम 2002 के खिलाफ है। एक विशेषज्ञ ने इसकी जानकारी दी है।

केरल राज्य जैव विविधता बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ओमन वी. ओमन ने कहा कि वर्ष 2005 में गठित केरल राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा 2008 में बनाए गए नियमों के माध्यम से इस अधिनियम को लागू किया गया है।


ओमन ने कहा कि वर्तमान समझौता जैव विविधता संरक्षण के हित के खिलाफ हमारे प्राकृतिक जैव संसाधनों के शोषण पर विचार करता है। समझौता 2030 तक संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के खिलाफ भी है। एसडीजी का लक्ष्य-14 का मकसद सतत विकास के लिए समुद्र और समुद्री संसाधन का संरक्षण और इनका निरंतर उपयोग करना है। भारत संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी के लिए एक हस्ताक्षरकर्ता भी हैं। यह वर्ष 2025 तक के लिए भावी परिकल्पना करता है, विशेष रूप से समुद्री मलबे और प्रदूषण के बारे में। इसका मकसद सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकना और कम करना है।

पिछले एक हफ्ते से पिनाराई विजयन सरकार की इस परियोजना को विपक्ष की भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने प्रस्तावित परियोजना की न्यायिक जांच की मांग की है।

–आईएएनएस


एसआरएस/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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