दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में दो महीने पहले नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का मामला एक बार फिर हाई कोर्ट पहुंच गया है। पुलिस द्वारा कथित बर्बरता में घायल हुए जामिया के छात्र शाययान मुजीब ने 2 करोड़ रुपये के मुआवजे के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
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अपनी याचिका में छात्र शाययान मुजीब ने कहा कि लाइब्रेरी में पुलिसकर्मियों ने उसके दोनों पैरों को तोड़ दिया और वह चलने-फिरने तक में असमर्थ है, वो अपने इलाज पर लाखों रुपए खर्च कर चुका है। हाईकोर्ट ने जामिया से जुड़ी बाकी और याचिकाओं के साथ ही मुजीब की याचिका को भी क्लब कर दिया है। इन याचिकाओं पर जून में सुनवाई होगी।
15 दिसंबर को जामिया में हुआ था हिंसक प्रदर्शन
दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के पास उपद्रवी भीड़ ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 8 वाहन फूंक दिए और पथराव किया। उपद्रवियों काे खदेड़ते हुए पुलिस यूनिवर्सिटी में घुस गई। लाइब्रेरी और बाथरूम में घुसकर तोड़फोड़ और लाठीचार्ज कर छात्रों को बाहर निकाला। पुलिस का कहना था कि कुछ उपद्रवी कैम्पस में दाखिल हो गए थे, जिनके पीछे पुलिस गई। बल प्रयोग में करीब 100 से अधिक छात्र जख्मी हुए थे। 52 छात्रों को हिरासत में लिया गया था। हालांकि, प्रदर्शन के बाद सभी छात्रों को छोड़ दिया गया।
कुलपति ने पुलिस के खिलाफ एफआईआर करने की बात कही थी
जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने घटना के बाद कहा था कि पुलिस बिना इजाजत कैम्पस में घुसी और मासूम छात्रों को पीटा। हमारी एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। जरूरत पड़ी तो हम इस मामले में हाईकोर्ट जाएंगे। हालांकि, कुलपति के इस जवाब पर छात्रों ने नारेबाजी की और कहा था कि हमें आपकी बात पर भरोसा नहीं है।
सामने आए जामिया हिंसा के तीन वीडियो
इस बीच जामिया हिंसा में तीन वीडियो सामने आए है एक वीडियो जामिया के छात्र लेकर आए, जिसमें पुलिस छात्रों को पीटते दिख रही है तो जवाब में दिल्ली पुलिस का वीडियो भी आ गया, जिसमें उपद्रवी छात्र लाइब्रेरी में जमा होते और हाथों में पत्थर लिए दिख रहे हैं। हालांकि इनकी सच्चाई साबित होना अभी बाकी है।