जेल अधीक्षक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

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नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गौतमबुद्ध नगर जिला जेल के अधीक्षक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने से इनकार कर दिया। दरअसल, अधीक्षक ने एक ऐसे आरोपी को जेल से रिहा कर दिया था, जिसकी जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही रद्द कर दिया था।

न्यायधीश एन.वी. रमना और अजय रस्तोगी की पीठ ने जेल अधीक्षक को उनके सामने 23 सितंबर को उपस्थित होने के लिए कहा है।


जेल अधीक्षक के सलाहकार ने पीठ से अपील की थी कि अधीक्षक के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को रोक दें, ताकि वह शीर्ष कोर्ट के सामने तय तारीख पर उपस्थित हो सकें।

सुप्रीम कोर्ट ने एक अवमानना याचिका स्वीकार करते हुए जेल अधीक्षक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।

यह आदेश तब आया जब पीठ, मटरू उर्फ प्रेमचंद द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आरोप लगाया कि जेल अधीक्षक ने एक आरोपी अरुण को मुक्त कर दिया, जिसकी जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।


सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की अरुण को रिहा करने के आदेश के परे यह निर्देश दिया था कि यदि वह हिरासत में है तो उसे रिहा नहीं किया जाए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि आदेश के बाद जेल अधीक्षक ने ट्रायल कोर्ट से आरोपी के लिए नई जेल हिरासत वारंट की मांग की थी, लेकिन इसकी प्रतीक्षा किए बिना उसने आरोपी को रिहा कर दिया।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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