झारखंड में भाजपा डरी, सहमी हुई : बाबूलाल मरांडी (साक्षात्कार)

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 रांची, 2 नवंबर (आईएएनएस)| झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि उनकी पार्टी विपक्षी दलों के महागठबंधन में शमिल नहीं होगी और अकेले चुनाव लड़ेगी।

 चुनाव बाद के गठबंधन के विषय को उन्होंने चुनाव बाद के लिए टाल दिया। उन्होंने कहा कि इस चुनाव के पहले ही भाजपा डरी और सहमी हुई है।


पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी ने शनिवार को आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि गठबंधन का मामला नहीं बन पा रहा है।

उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनाव के दौरान मैंने प्रयास किया कि गठबंधन बना रहे, पर सभी पार्टियों को सीटों को लेकर अपनी-अपनी समस्याएं हैं। छोटा राज्य है, कम सीटें हैं। दावेदार अधिक हैं, ऐसे में गठबंधन संभव होता नहीं दिख रहा था। इसके बाद हमने ‘एकला चलो रे’ की राह को अपनाते हुए अकेले ही लड़ने का फैसला किया।”

उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पर कटाक्ष करते हुए इशारों ही इशारों में कहा, “कई लोगों की पुरखों की पार्टी है, विरासत में उन्हें सीटें मिली हैं, परंतु हमारी पार्टी नई है। हम दिहाड़ी मजदूर हैं। संघर्ष कर सीट जीतेंगे।”


राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को इससे लाभ होने के सवाल पर मरांडी ने उदाहरण दिया, “दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी ने भी अकेले चुनाव में उतरकर जीत दर्ज की थी। जीत दिलाना जनता का काम है। उनका विश्वास जनता पर है।”

पिछले चुनाव की तरह इस चुनाव के बाद झाविमो के विधायकों के टूट जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उस स्थिति में इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) रहेगी ही नहीं। उन्होंने कहा कि “भाजपा अबकी बार 65 पार की बात कर रही है, परंतु इस बार भाजपा डरी और सहमी हुई है। अन्य दलों के विधायकों को पार्टी में लाकर टिकट देने जा रही है।”

कभी भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे मरांडी ने कहा, “अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की इतनी ही लोकप्रियता है तो अपनी ही पार्टी के किसी कार्यकर्ता को टिकट देकर जीतवा कर दिखाते, दूसरी पार्टी के विधायकों को तोड़ने की क्या जरूरत थी।”

उन्होंने कहा कि भाजपा जितने भी विधायकों को अपने पाले लाई है, उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा तक नहीं दिया है। उन्होंने इसे कानून के विरुद्घ कार्य बताया।

मरांडी ने कहा, “राज्य में नक्सल समस्या समाप्त करने और विधि-व्यवस्था की स्थिति सुधारने के भाजपा के दावे की हवा निर्वाचन आयोग ने ही निकाल दी है। निर्वाचन आयोग ने पांच चरणों के चुनाव कराकर खुद हकीकत बयां कर दिया है। आयोग ने कहा भी है कि 19 जिले नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं।”

लेकिन सवाल उठता है कि मरांडी किन मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में जाएंगे? उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी का मुद्दा गांव का विकास होगा। गांवों का विकास, किसानों का विकास, स्कूलों की स्थिति में सुधार और बेरोजगार को रोजगार के मुद्दे को लेकर हम मतदाताओं के बीच जाएंगे।”

उन्होंने कहा, “पिछले पांच वर्षो में राज्य में दो दर्जन से अधिक लोगों की भूख से मौत हो गई। किसानों के लिए सरकार ने डोभा का निर्माण कराया, आज सभी डोभा समाप्त हो गए। किसानों को नकद राशि भेजी जा रही है, परंतु इससे किसानों का भला नहीं होने वाला।”

झारखंड में जद (यू) के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनने की संभावना को नकारते हुए मरांडी ने कहा कि जनता दल (युनाइटेड) बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहा है और यहां भाजपा के विरोध में चुनाव लड़ेगा, तो हमलोग जनता को इसका क्या जवाब देंगे।

उन्होंने स्पष्ट किया कि झाविमो अकेले चुनाव में उतर रहा है और मजबूती से उतर रहा है।

चुनाव बाद के गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह काल्पनिक प्रश्न है, और जब ऐसा समय आएगा, तब देखा जाएगा।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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