झारखंड के अंदर और बाहर के प्रदेशों में स्थित शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रहे स्टूडेंट्स को दी जाने वाली अरबों की स्कॉलरशिप में फर्जीवाड़े के बड़े खेल का खुलासा हुआ है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में गलत तरीके से छात्रवृत्ति लेने की कोशिश कर रहे ऐसे 243 संस्थानों को राज्य के कल्याण विभाग ने ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। इनमें से झारखंड के 46, जबकि बाहर के प्रदेशों के 197 संस्थान शामिल हैं।
मीडिया खबरों के मुताबिक, इन संस्थानों द्वारा प्रस्तुत निबंधन और मान्यता से संबंधित दस्तावेज गलत पाए गए हैं। इससे पहले भी विभाग ने फर्जी आवास, जाति तथा आय प्रमाणपत्रों में हेरफेर कर छात्रवृत्ति लेने की कोशिश में दर्जनों संस्थानों को छात्रवृत्ति की सूची से बाहर कर दिया था। इधर, पुराने अनुभवों से सीख लेते हुए विभाग ने छात्रवृत्ति के फर्जीवाड़े पर एक और प्रहार करने की तैयारी कर ली है।
कल्याण विभाग अब संबंधित प्रमाणपत्रों की सत्यता परखने के लिए नेशनल इंफोर्मेटिक सेंटर (एनआइसी) का सहारा लेगा। ऑनलाइन निर्गत होने वाले इन प्रमाणपत्रों की जांच भी ऑनलाइन की जाएगी। जांच का आधार प्रमाणपत्रों के जारी होने की तिथि, निर्गत संख्या, मुहर आदि होगा। संबंधित आंकड़े एनआइसी से लिंक किए जाने की तैयारी है।
16 राज्यों के संस्थान ब्लैक लिस्टेड
झारखंड सरकार ने आंध्र प्रदेश के 10, बिहार के 5, छत्तीसगढ़ के 19, दिल्ली के तीन, गुजरात व राजस्थान के एक-एक, हरियाणा के 11, कर्नाटक के 14, मध्य प्रदेश के 41, महाराष्ट्र के 11, ओडिशा के 10, पंजाब के पांच, तमिलनाडु व उत्तराखंड के चार-चार, तेलंगाना के 15, उत्तर प्रदेश के 25 तथा पश्चिम बंगाल के 18 संस्थानों से आए आवेदन रद्द कर दिए हैं। इसके अलावा प्रदेश के 46 संस्थाओं को सरकार ने मान्यता नहीं दी।
30 लाख छात्रों को हर साल मिलती है 5 अरब की छात्रवृत्ति
आपको बता दें कि कल्याण विभाग हर साल औसतन 30 लाख अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के बीच करीब पांच अरब रुपये के स्कॉलरशिप बांटता है। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 24 लाख 10 हजार 923 छात्रों के बीच 441 करोड़ 27 लाख 17 हजार 930 रुपये की छात्रवृत्ति बांटी जा चुकी है। प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति मद में 248.12 करोड़, जबकि पोस्ट मैट्रिक मद में 193.15 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई।
किस तरह के फर्जीवाड़े?
उदाहरण के लिए एएन कॉलेज दुमका और मधुपुर कॉलेज मधुपुर में अध्ययनरत देवघर के 92 छात्र-छात्राओं में से 66 हरियाणा स्थित एशियन एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नालाजी में भी नामांकित पाए गए थे। और तो और इन्होंने दोनों संस्थानों से छात्रवृत्ति के लिए अलग-अलग आवेदन भी कर रखा था। वहीं, गढ़वा के एकमुश्त 3230 छात्र हरिद्वार में अध्ययनरत पाए गए थे। छात्रों ने आवासीय प्रमाणपत्र की जगह एकनॉलेजमेंट, दूसरे राज्यों का आय और आवासीय अपलोड कर सरकार को धोखा देने की कोशिश की थी। छात्रवृत्ति के लिए एक सप्ताह के अंदर अंकपत्र तक बदल दिए जाने की गड़बड़ी विभाग ने पकड़ी थी।
इसके अलावा कई मार्कशीट ऐसे भी मिले थे, जिसपर न तो विषय अंकित था और न ही रोलकोड। 2016 की छात्रवृत्ति के लिए 2004 से लेकर 2009 तक के मार्कशीट आवेदन पत्र के साथ देने के प्रमाण भी विभाग को मिले थे। डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, अभियंता, बिल्डर आदि रसूखदारों के बच्चों को भी छात्रवृत्ति मिलने की पुष्टि हुई थी।
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