कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। इस बीच बरवाडीह से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं। जिसमें मुस्लिम समाज के लोगों ने देश में सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की है।
गिरिडीह शहर (Giridih) के बरवाडीह में 72 वृर्षीय वृद्धा लखिया देवी की मौत हो गई। जिसके बाद हिंदू समाज के लोगों ने कोरोना महामारी से भयभीत होकर लखिया देवी की अर्थी को कंधा देने से बचते रहे।
ऐसे में मुस्लिम समुदाय के करीब 40-50 युवक आगे आए। इसके बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने आगे आकर न सिर्फ उनके अंतिम संस्कार की सभी जिम्मेदारियां निभाईं बल्कि शव को कंधा भी दिया।
हालांकि वृद्धा लखिया देवी की अर्थी को उसके बेटे और पोते समेत परिवार के कुछ सदस्य भी कंधा देने में शामिल थे, लेकिन अर्थी को आठ किमी दूर स्थित भोरणडीहा मुक्तिधाम पहुंचना था, जो मृतका के परिजनों के लिए संभव नहीं था।
इसलिए वृद्धा को कंधा देने के लिए शवयात्रा में कई मुस्लिम युवक शामिल हुए, जो पूरे हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अर्थी को कंधा देने पहुंचे और वृद्धा के पार्थिव शरीर को तपती धूप में कंधा देते हुए भोरणडीहा मुक्तिधाम लेकर पहुंचे।
शवयात्रा में शामिल सभी मुस्लिम युवा अंतिम संस्कार के वक्त ‘राम नाम सत्य है’ उच्चारण कर रहे थे। 72 वर्षीय वृद्धा लखिया देवी शुगर की बीमारी से कई दिनों से पीड़ित थी।
शनिवार को वृद्धा की मौत हो गई। इस दौरान जानकारी मिलने के बाद मृतिका के सगे-संबधी कोरोना से भयभीत होकर शव से दूर खड़े थे। इसकी जानकारी जब मुस्लिम युवाओं को हुई, तो करीब 50 युवकों ने उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया।
एक ओर जहां देश में आए दिन जब साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने की तमाम कोशिशे की जाती है। ऐसे में हर कोई शव को कंधा देने वाले मुस्लिम समुदाय की जमकर प्रशंसा कर रहा है। मुस्लिम लोगों की यह पहल वाकई हम सभी के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं।