कई बार ऐसा देखा गया है कि अक्सर लोग अपने सपने न पूरे हो पाने की वजह से मौत का रास्ता चुन लेते हैं। आत्महत्या का ऐसा ही मामला ही सामने आया है झारखंड से। यहां लॉकडाउन व कोरोना संक्रमण के खतरे की वजह से इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए कोटा नहीं जा पाने पर एक छात्र अवसाद में आ गया था। इसके बाद उस नाबालिग ने सोमवार को फांसी लगाकर जान दे दी।
खबरों के अनुसार छात्र का नाम नीतीश कुमार था। उसके पिता का नाम संतोष प्रजापति है। नीतीश घर का इकलौते चिराग था। उसके इस कदम से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। नीतीश झुमरीतिलैया थाना क्षेत्र अंतर्गत वार्ड नंबर 14 स्थित ताराटाड़ का रहने वाला था।
खबरों की मानें तो दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद से नीतीश 12वीं एवं इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए राजस्थान कोटा जाना चाहता था। घर का इकलौती संतान होने और शुरुआती समय में ही कोरोना की वजह से लॉकडाउन व उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए परिजनों ने कोटा जाने से रोक दिया। नीतीश ने 10वीं की परीक्षा सीबीएसई बोर्ड से 89 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण की थी। फिलहाल वह सीएच प्लस टू उच्च विद्यालय में इंटर साइंस के प्रथम वर्ष का छात्र था।
पिता ने कहा कि, नीतीश को पढ़ाई से काफी लगाव था। उच्च शिक्षा के लिए उसने बाहर जाने के सपने देखे थे। मेरी भी दिली इच्छा थी कि बेटे को सपने को पूरा करुं, लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी ने सपनों को तार-तार कर रखा था। अपने सपने को पूरा करने के लिए नीतीश दिन- रात पढ़ाई में लगा रहता था। रविवार की रात करीब 8 बजे भी पढ़ाई के वक्त युवक की मां संगीता देवी खाना लेकर उसके कमरे में गयी।
उन्होंने आगे कहा कि, नीतीश के कहने पर मां खाना टेबल पर रख कर वापस कमरे से बाहर चली आयी। सोमवार की सुबह नीतीश का एक मित्र प्रतिदिन की तरह ट्यूशन जाने के लिए उसे घर पर बुलाने आया। कमरे के बाहर काफी देर तक आवाज लगाने व मोबाइल से संपर्क करने के बाद भी जब नीतीश ने कोई जवाब नहीं दिया, तो परिजनों ने कमरे का दरवाजा तोड़ा. दरवाजा टूटते ही फंदे से झुलते बेटे को देखते ही परिजनों मे चीख-पुकार मच गयी। इस घटना की जानकारी मिलने पर पहुंचे एसआई आनंद कुमार व पुलिस बल ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।