झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने इस्तीफा दे दिया है। पूर्व सांसद अजय कुमार ने शुक्रवार को राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है। अपने त्यागपत्र में डॉ अजय कुमार ने झारखंड कांग्रेस के कुछ नेताओं पर जमकर निशाना साधा है। अजय कुमार ने लिखा है कि पिछले डेढ़ सालों में उन्होंने झारखंड में पार्टी को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए अथक प्रयास किया। लेकिन, कुछ लोगों के निजी स्वार्थ की वजह से उनके रास्ते में रोड़े डाले गए।
अजय कुमार ने लिखा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में पार्टी को पंचायत और ब्लॉक लेवल पर काफी मजबूत किया। जिसकी बदौलत लोकसभा चुनावों में कम सीटों पर लड़ने के बावजूद पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा। उन्होंने कहा कि खूंटी और लोहरदगा में हार का अंतर काफी कम रहा और उन्हें उम्मीद थी कि झारखंड में कांग्रेस को कम-से-कम 6 सीटें आएँगी। लेकिन, कुछ वरिष्ठ नेताओं के व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते पार्टी को वांछित सफलता नहीं मिल पायी। उनके सहयोग के बगैर भी 2014 की तुलना में 2019 में कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर 12 फीसदी बढ़ा।
Thanks to all for supporting me in my journey – The journey of state president is now over – Thanks & Lots Of Love To All My Supporters pic.twitter.com/To3X0ThruT
— Dr Ajoy Kumar (@drajoykumar) August 9, 2019
झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सुबोधकांत सहाय, रामेश्वर उरांव, प्रदीप बालमुचू, चंद्रशेखर दुबे और फुरकान अंसारी के नामों का जिक्र करते हुए अजय कुमार ने कहा कि ये नेता पार्टी के हितों को ताक पर रखकर केवल राजनीतिक पदों को हथियाने में लगे हैं। इसके अलावा पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाते हुए अजय कुमार ने लिखा है कि पार्टी कार्यलय में मेरे ऊपर हमला करवाने की साजिश रची गयी और इसके लिए गुंडे बुलाये गए। सुबोधकांत सहाय ने पार्टी ऑफिस में किन्नरों से उत्पात मचवाया। उन्होंने कहा कि पार्टी के भले के लिए मैं जो भी प्रयास करता हूँ उसे शरारती तत्वों द्वारा निष्प्रभाव कर दिया जाता है।
पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए अजय कुमार ने लिखा कि राज्य के चंद नेता पैसे के बल पर लोगों को दिल्ली ले जाते हैं, उन्हें महंगे होटल में ठहरवाते हैं और प्रदेश नेतृत्व के बारे में उल्टी-सीधी कहानियां बनवाते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता सिर्फ अपने परिवार के लिए लड़ते हैं। इन परिस्थितियों में काम करना बेहद मुश्किल है और मुझे दुर्भाग्य से इस निष्कर्ष तक पहुंचना पड़ा है।
गौरतलब है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद झारखंड कांग्रेस में शुरू हुआ किचकिच थमता नजर नहीं आ रहा है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में दो गुटों की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है।
झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लेकर जहां अन्य दल तैयारी में जुट गए हैं, वहीं कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो दिन पूर्व विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस की हो रही बैठक में हंगामे को देखते हुए कांग्रेस दफ्तर के आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया गया था। यहां तक कि बागी गुट के नेताओं द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी की गई। बागी गुट के नेताओं को हटाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।