झारखंड: व्यवस्था से निराश हजारीबाग के इस गांव के ग्रामीण खुद बना रहे हैं सड़क

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आजादी के 70 सालों बाद भी देश के कई इलाकों में आज भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। सरकारी उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की वादाखिलाफी ने हालात को और जटिल बनाने का काम किया है। ऐसे हालात में लोग निराश जरूर हुए हैं मगर उन्होंने हौसला नहीं हारा है। कुछ ऐसा ही मामला है झारखंड के हजारीबाग जिले का।

झारखंड के हजारीबाग जिले में पताल पंचायत के गांव कस्तयारी के लोगों को आजादी के बाद भी बुनियादी सुविधाएं नसीब नहीं हो पा रही हैं। कस्तयारी गांव के लोग अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से कई बार अपने गांव से निकलने के लिए एक अदद रास्ते की गुहार लगा चुके हैं। यहां के लोग भी तीन किलोमीटर लंबी सड़क को श्रमदान से बनाने में जुटे हैं।


यहां लोग पिछले कुछ माह से प्रत्येक रविवार को श्रमदान कर सड़क का निर्माण कर रहे हैं, ताकि आवागमन में सुविधा हो। 150 लोगों की आबादी वाले इस गांव में 40 घर हैं। सभी अनुसूचित जाति गंझू परिवार के हैं। गांव में आज तक प्रधानमंत्री आवास को छोड़ अन्य कोई विकास कार्य नहीं हो सका है। यहां के लोग सरकार और सरकारी व्यवस्था से काफी नाराज हैं।

दो माह से बना रहे हैं सड़क

युवाओं की टोली पिछसे दो माह से सड़क का निर्माण कर रही है। प्रत्येक रविवार को 25 से 30 लोग घर से निकलते हैं और सड़क का निर्माण करते हैं। अब तक ग्रामीण करीब 300 मीटर तक सड़क बना चुके हैं। सड़क निर्माण कर रहे ग्रामीणों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति खासा गुस्सा है। उनका कहना है कि अगर सड़क निर्माण करा दिया जाता तो उन्हें यह कार्य नहीं करना होता।


ग्रामीण विनोद महतो और जैलेंद्र गंझू ने बताया कि सड़क के निर्माण के लिए बीडीओ, मुखिया सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को आवेदन दिया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिर में ग्रामीणों ने गांव से मुख्य सड़क तक तीन किलोमीटर लंबी सड़क बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद प्रत्येक रविवार को गांव की एक टोली कुदाल, फावड़ा व अन्य औजार लेकर निकलती है और सड़क के निर्माण में जुट जाती है।

जलेंद्र गंझू, सूरेश गंझू, मकूल गंझू समेत अन्य ग्रामीण कहते हैं कि वे सड़क तो बना ही रहे हैं, लेकिन इसे पक्का करने का काम अगर आगामी विधानसभा चुनाव तक नहीं करवाया गया तो इस चुनाव में नेताओं को सबक सिखाएंगे।


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