झारखंड : रस्सी के सहारे कुएं में उतरती हैं महिलाएं, जलस्तर इतना कम कि कटोरे से निकलता है पानी

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झारखंड : रस्सी के सहारे कुएं में उतरती हैं महिलाएं, जलस्तर इतना कम कि कटोरे से निकलता है पानी

देश का एक बड़ा हिस्सा अभूतपूर्व जल संकट से जूझ रहा है। कई जगह तो स्थिति इतनी खराब है कि पानी के लिए हिंसा भी हो जा रही है।

झारखंड का जामताड़ा जिला भी इन दिनों जलसंकट से जूझ रहा है। जिले के नारायणपुर प्रखंड के लक्ष्मीपुर के ग्रामीण इनदिनाें भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं। यहां के आदिवासी टोला की महिलाओं काे पानी के लिए राेज मशक्कत करनी पड़ रही है। बाल्टी भर पानी के लिए महिलाएं कुंआ में उतरने काे मजबूर हैं।


पानी के लिए जोखिम में जान

ग्रामिणों ने प्यास बुझाने के लिए खेत में कुआं बनाया है। उस कुंए में महिलाएं उतरकर बर्तन से साफ पानी उठाकर बाल्टी में डालती है, इसके बाद कुएं के ऊपर बैठी महिलाएं उस बाल्टी काे खींचकर निकालती है। यह तस्वीर बयां कर रही है कि किन परिस्थितियों में यहां की महिलाएं अपनी जान जाेखिम में डालकर पानी की जुगत कर रही हैं।

सुबह से लगती है लंबी लाइन

विकास के तमाम दावों के बीच झारखंड के इस इलाके की यह कहानी बयां करती है कि लोगों की जिंदगी कितनी मुश्किल है। नारायणपुर प्रखंड का लक्ष्मीपुर आदिवासी टोला आज एक-एक बाल्टी भर पानी के लिए भागदौड़ भरी जिंदगी गुजार रहा हैं। सुबह से ही इस कुआं पर लंबी कतारें लग जाती हैं। इस टोले समेत अन्य कई इलाकों में इस समय पेयजल की भारी किल्लत शुरू हो गई है।

सरकारी चापाकल मरम्मत के अभाव में खराब

इस संकट के लिए जितना प्राकृतिक कारण जिम्मेदार है उससे अधिक जिम्मेदार राज्य सरकार है। विकट स्थिति होने के बाद भी अबतक चापाकल की मरम्मती विभाग द्वारा नहीं की गई है। लोगों को न चाहकर भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सुबह से ही पानी के लिये भागदौड़ करना पड़ रहा है। अपने दिनचर्या के लिए पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए करीब एक किलोमीटर दूर जोरिया जाकर पानी लाना किसी बेबसी से कम नहीं है।


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