नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने बुधवार को कहा कि जिन राजनीतिक दलों को देश की जनता नकार चुकी है, वे आज कुछ किसानों को गुमराह करने में लगे हुए हैं।
मोदी सरकार के कृषि सुधार के विरोध में सड़कों पर उतरे कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा गणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी दिल्ली में उत्पात मचाए जाने के सवाल पर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री ने विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
उन्होंने आईएएनएस से कहा कि कुछ लोग किसानों और सरकार के बीच वार्ता में रोड़े अटका रहे हैं। कैलाश चौधरी ने कहा कि ये राजनीतिक दल सिर्फ चर्चा में आने के लिए इस तरह के इवेंट कर रहे हैं।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, जो लोग आज किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, उन्होंने सत्ता में रहते हुए क्या किया हर किसी को पता है।
नए कृषि कानूनों को किसानों के लिए फायदेमंद बताते हुए कृषि राज्यमंत्री ने कहा, हमने गांव के किसान के काम को आसान करने की कोशिश की है। पहले कृषि कानून तोड़ने पर किसानों को जुर्माना भरना पड़ता था, लेकिन हमारी सरकार ने उसे खत्म कर दिया है। अब खरीदारों को किसानों को रसीद भी देनी होगी और फसल का दाम भी तीन दिन के भीतर ही देना होगा।
नए कृषि कानूनों से किसानों के मन में एपीएमसी मंडियां खत्म होने और फसलों पर एमएसपी नहीं मिल पाने को लेकर किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं को निराधार बताते हुए कैलाश चौधरी ने फिर दोहराया कि एमएसपी खत्म नहीं होगी, मंडियां भी चालू रहेंगी। उन्होंने कहा,सरकार ने किसानों को इस बात का भरोसा दिया है, अगर फिर भी कोई शंका है तो सरकार चर्चा के लिए तैयार है। सरकार का फोकस खेती की लागत को कम करने पर है। कई योजनाओं के तहत किसानों को लाभ दिया जा रहा है।
अनुबंध आधारित कृषि के संबंध में उन्होंने कहा, अगर कोई किसान से एग्रीमेंट करेगा, तो वो चाहेगा कि फसल अच्छी हो। ऐसे में एग्रीमेंट करने वाला व्यक्ति बाजार के ट्रेंड के हिसाब से ही किसानों को आधुनिक चीजें उपलब्ध करवाएगा। एग्रीमेंट करने वाला समझौता नहीं तोड़ सकता, लेकिन किसान अपनी मर्जी से एग्रीमेंट खत्म कर सकता है।
उन्होंने कहा, मुझे इस बात की खुशी है कि मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र की महत्ता को ध्यान में रखते हुए दर्जनों किसानों को पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया है।
कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि नए कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी हैं और देश के अधिकांश किसान इन कानूनों के पक्ष में हैं।
–आईएएनएस
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