JNU मामला: आरोपपत्र पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लताड़ा

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JNU देशद्रोह केस, आवश्यक अनुमति पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लताड़ा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज 2016 के JNU देशद्रोह मामले में प्रक्रिया का पालन न करने पर दिल्ली पुलिस को लताड़ लगाई है। आवश्यक मंजूरी लिए बगैर आरोपपत्र दायर करने को लेकर अदालत ने शनिवार को दिल्ली पुलिस से सवाल किए। अदालत ने दिल्ली पुलिस को जरूरी अनुमति लेने के लिए 6 फरवरी तक का समय दिया है। पुलिस ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत से कहा कि वह 10 दिन के भीतर अनुमति ले लेगी।

मालूम हो कि 14 जनवरी को दिल्‍ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्बान के अलावा आकिब हुसैन, उमर गुल, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, रईस रसूल, खलिद बशीर भट और बशरत अली के नाम चार्जशीट में शामिल हैं। इनके अलावा शेहला रशीद तथा CPI नेता डी राजा की बेटी अपराजिता राजा का नाम भी चार्जशीट में शामिल है। इनके अलावा 36 नाम ऐसे भी हैं जिनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है लेकिन उनके बारे में कहा गया है कि वे भी नारे लगाने वालों के साथ खड़े थे।


अगर दिल्ली सरकार का गृह विभाग JNU मामले में स्पेशल सेल के ‘देशद्रोह’ मामले में दायर चार्जशीट पर कार्रवाई के लिए आदेश देती है तो दिल्ली सरकार को उसका राजनीतिक नुकसान की आशंका है। और अगर दिल्ली सरकार, संज्ञान के लिए अनुमति नहीं देती है तो स्पेशल सेल द्वारा कन्हैया कुमार सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ लगे देशद्रोह के मामले खारिज हो जाएंगे। जानकार कहते हैं के क्योंकि अरविंद केजरीवाल और कन्हैया कुमार दोनों मोदी के विरोधी हैं, और ठीक लोकसभा चुनाव से पहले आरोपपत्र दाखिल कर मोदी सरकार इसका राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश कर सकती है। इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले दिल्ली सरकार सारे पहलुओं का ध्यान रखेगी।


कन्हैया ने आरोपपत्र को राजनीति से प्रेरित बताया


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