ज्यादातर लोगों ने माना, एक साल में आम लोगों की जीवन-गुणवत्ता गिरी : सर्वेक्षण

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आम लोगों की जीवन-गुणवत्ता

कोरोनो महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका पर बुरा असर पड़ा है। इस संबंध में आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण से पता चला है कि बीते एक साल में लगभग 50 प्रतिशत भारतीयों की जीवन गुणवत्ता खराब हो गई है।

उत्तरदाताओं का लगभग 48.4 प्रतिशत महसूस करता है कि आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता बिगड़ गई है और 21.3 प्रतिशत लोगों का मानना है कि यह पहले की तरह ही यथावत है।


हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से, 28.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वास्तव में, जीवन की गुणवत्ता में पिछले एक साल में महामारी के दौरान सुधार हुआ है।

कोरोनावायरस महामारी ने असंगठित क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर कई लोगों के जीवन में अस्थिरता ला दी। हालांकि, महामारी ने संगठित क्षेत्रों सहित सभी आर्थिक क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे बड़े पैमाने पर नौकरी का नुकसान हुआ और व्यवसायों को बंद करना पड़ा।

तालाबंदी के बीच असंगठित क्षेत्र अधिक गंभीर रूप से प्रभावित हुआ और लाखों लोगों ने शहर छोड़ गांव की ओर रुख किया।


समाज के एक बड़े हिस्से को कोविड से पहले के वित्तीय स्तर को फिर से बहाल करना है और लोगों को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट में सोमवार को इस बाबत कुछ कदम उठाए जाएंगे।

सर्वेक्षण में यह सवाल भी शामिल था कि भारतीय जीवन की गुणवत्ता के लिए संभावनाओं के बारे में क्या सोचते हैं और 37.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि इस साल इसमें सुधार होगा।

वहीं 25.8 फीसदी लोगों को लगता है कि अगले एक साल में आम आदमी की जिंदगी और खराब हो जाएगी, जबकि 21.7 फीसदी लोगों का मानना है कि यह समान रूप से बरकरार रहेगा।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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