बिहार चुनाव में कांग्रेस दोहराएगी झारखंड की रणनीति!

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Congress declares first list of candidates for Bihar Election

पटना | झारखंड विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता मिलने से उत्साहित कांग्रेस अब बिहार में भी उसी रणनीति को दोहराते हुए ‘बिहार फतह’ की तैयारी में जुट गई है।

कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि बिहार और झारखंड में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है और कमोबेश गठबंधन भी वही रहने वाला है जो झारखंड में था।


कांग्रेस के रणनीतिकार बिहार में झारखंड का इतिहास दोहराने के लिए इस कोशिश में जुटे हैं कि बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ उसका गठबंधन जमीन पर भी मजबूत दिखे। कांग्रेस के एक नेता की मानें तो झारखंड में गठबंधन का जीत का बहुत बड़ा कारण गठबंधन में शामिल दलों द्वारा अपने मतदाताओं को सहयोगी दलों में वोटों का शिफ्ट कराना है।

कांग्रेस का मानना है कि झारखंड में कांग्रेस पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के साथ गठंबन में दूसरे नंबर की पार्टी है, जो झामुमो की झारखंड में स्थिति है, वह राजद की बिहार में स्थिति है।

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कांग्रेस बिहार में जल्द से जल्द सीट बंटवारे का लेकर बात शुरू करने को लेकर दबाव बनाए हुए है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल कहते भी हैं कि सीट बंटवारे की स्थिति छह महीने पहले होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्टूबर या नवंबर में चुनाव होने की संभावना है, ऐसी स्थिति में अप्रैल में सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन के दलों में बातचीत शुरू होनी चाहिए।

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में कांग्रेस और राजद के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP), पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) तथा विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के भी साथ आने की पूरी संभावना है।

एक ओर जहां कांग्रेस की रणनीति छह महीने पहले सीट बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की तैयारी है, वहीं अपने सहयोगी दलों के साथ साझा चुनाव प्रचार करने की रणनीति भी बनाई जा रही है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता राजेश राठौड़ आईएएनएस से कहते हैं कि झारखंड में कांग्रेस ने जिला स्तर के सभी नेताओं को साफ-साफ निर्देश दिया था कि गठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं के साथ मिलकर चुनाव प्रचार करें। 2019 के लोकसभा चुनाव में इसकी कमी देखने को मिली थी।

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राठौड़ ने कहा, “बिहार में भी हम इसी फॉर्मूले पर काम करेंगे। जमीन स्तर पर हमारी तैयारी बेशक गठबंधन के हमारे सहयोगियों के लिए मददगार साबित होगी।” उन्होंने कहा कि गठबंधन के दलों में समन्वय कायम रहने से ना केवल मतदाताओं में अच्छा संदेश जाता है, बल्कि दलों में भी विश्वास की भावना बढ़ती है।

इस बीच, झारखंड के चुनाव परिणाम से उत्साहित कांग्रेस आंदोलनों और कार्यक्रमों के जरिए भी लोगों के बीच पहुंचने की कोशिश में जुट गई है।

उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी महागठबंधन में शामिल थी। उस समय जद (यू) भी महागठबंधन की हिस्सा थी। कांग्रेस ने इस चुनाव में 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यह बीते 25 वर्षो में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। कांग्रेस को उम्मीद है कि अपने उस प्रदर्शन को यहां बढ़ाएगी।

कांग्रेस के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव भी कहते हैं कि गठबंधन में शामिल दलों में समन्वय और एकजुट रहना सबसे कामयाब रणनीति थी। अलग-अलग लड़ने से वोटों में बंटवारा होता और भाजपा को फायदा होता। गठबंधन का एक उम्मीदवार रहा और सभी ने प्रचार किया।

बहरहाल, इस चुनावी साल में कांग्रेस विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने में जुट गई है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का भी मानना है कि बिहार में जारी भ्रष्टाचार के कारण नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली राजग सरकार के खिलाफ ‘एंटी इनकम्बेंसी’ का माहौल है, जो विपक्षी दलों के महागठबंधन की जीत में मददगार साबित होगा।


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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