नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)| राज्यसभा में सोमवार को अव्यवस्था का माहौल रहा। कांग्रेस के सदस्य कागज फाड़कर हवा में उछाल रहे थे।
भारी हंगामे के बीच राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया। राज्यसभा दिन के दौरान तीसरी बार बाधित हुई।
सदस्य, सभापति के आसन के सामने जमा हो गए और दो मुद्दों, कर्नाटक में राजनीतिक संकट व उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में आदिवासियों की हत्या को लेकर विरोध जताने लगे।
इस शोरगुल के बीच एक संशोधन विधेयक पेश किया गया। यह विधेयक भारत के प्रधान न्यायाधीश के अलावा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का अध्यक्ष बनने की अनुमति देता है और यह सदस्यों की संख्या को दो से बढ़ाकर तीन करने की इजाजत देता है।
शुरुआत में उपसभापति ने विधेयक पर चर्चा जारी रखने को कहा, लेकिन जब कुछ सुनाई नहीं दे रहा था तो सदन को स्थगित कर दिया।
कांग्रेस सदस्यों ने मोदी सरकार पर ‘दलित विरोधी’ होने का आरोप लगाया।
उप सभापति ने प्रदर्शन कर रहे सदस्यों से बार-बार अपनी सीट पर जाने व सदन को कामकाज करने देने का आग्रह किया, लेकिन किसी ने इस अपील पर ध्यान नहीं दिया।
तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि इतने कम समय की नोटिस पर सदस्यों से संशोधन पर विचार की उम्मीद करना उचित नहीं है।