हर महीने की कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। यह भगवान शिव के अंश रूप भैरव की तिथि है। भगवान भैरव को काल भैरव, रूद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उग्र भैरव जैसे कई और नामों से पुकारा जाता है।
भैरव को भगवान शिव का उग्र रूप माना जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि भैरव की पूजा से मन में व्याप्त भय दूर होता है। व्यक्ति में साहस और बल आता है, तथा शत्रुओं का नाश होता है।
अगर आप भी शत्रुओं से परेशान हैं, कोई अनजाना भय आपको सता रहा हैं, कोई भी नया काम शुरू करने में आपको डर लगता है या आपको महसूस होता है तो आपको आज के दिन पड़ने वाली कालाष्टमी के दिन भैरव की पूजा अवश्य करना चाहिए।
भैरव का स्वरूप
भैरव का स्वरूप अत्यंत डरावना है, लेकिन उनकी उपासना करने से सभी तरह के डर से मुक्ति मिलती है। भैरव का काला रंग, स्थूल शरीर, उनके दहकते नेत्र, काले डरावने चोंगेनुमा वस्त्र, रूद्राक्ष की कंठमाला, हाथों में लोहे का दंड और सवारी काला श्वान है।
उपासना के लिहाज से भैरव तमस देवता हैं। जिन्हें तांत्रिकों का देवता भी माना जाता है। कालांतर में भैरव उपासना की दो शाखाएं- बटुक भैरव और काल भैरव प्रसिद्ध हुई। जिसमें बटुक भैरव अपने भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरूप में जाने जाते हैं।
कालाष्टमी पर क्या करें : Kalashtami Puja vidhi
इस दिन भैरव नाथ की पूजा की जाती है। इससे समस्त संकट दूर होते हैं।
21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय” लिखकर काले पत्थर के शिवलिंग पर चढ़ाएं।
भैरवनाथ को सवा किलो जलेबी का भोग लगाने से आर्थिक कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
इस दिन शनि मंदिर में तेल का दान करें।
सवा किलो काले उड़द की पोटली काले कपड़े में बनाकर भैरव मंदिर में चढ़ाने से पैसों की तंगी दूर होती है।
भैरव की सवारी काले श्वान को घी चुपड़ी रोटी खिलाने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कालाष्टमी के दिन उड़द के पकौड़े बनाकर सुबह जल्दी जो पहला श्वान मिले उसे खिला दें।
जब श्वान को पकौड़े खिलाने निकले तो बिना कुछ बोले यह पूरी प्रक्रिया संपन्न् करें।
पीछे मुड़े बिना वापस घर आ जाएं।
भिखारियों, कौढ़ियों को भोजन कराएं और मदिरा की बोतल दान करें।