कार्तिक माह का सनातन धर्म में विशेष महत्व माना गया है। इस माह में व्रत और तप करने का महत्व धर्म शास्त्रों में भी बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार इस माह में जो मनुष्य संयम के साथ नियमों का पालन करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐसी मान्यताएं है कि कार्तिक मास में किया गया धार्मिक कार्य अनन्त गुणा फलदायी होता है। शास्त्रों की मानें तो ये महीना पूरे साल का सबसे पवित्र महीना होता है। इसी महीने में ज्यादातार व्रत और त्यौहार आते है। कार्तिक मास भगवान विष्णु का माहीना कहा जाता है।
इस माह में की गई पूजा से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न हो जाते है। कार्तिक मास में कार्तिक शुक्ल एकादशी को इस मास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन माना गया है जिसे हम देव उठान एकादशी कहते हैं। इसी दिन चातुर्मास की समाप्ति होकर देव जागृति होती है।
इस दिन चार महीने बाद जब भगवान विष्णु जागते है तो मांगलिक कार्यकर्मो की शुरुआत होती है। कार्तिक मास की समाप्ति पर कार्तिक पूर्णिमा का भी बड़ा विशेष महत्व है जिसे तीर्थ स्नान और दीपदान की दृष्टि से वर्ष का सबसे श्रेष्ठ समय माना गया है और इसे देव–दीपावली भी कहते हैं।
कार्तिक मास के कुछ खास नियम
-मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास में मनुष्य को प्याज, लहसुन और बैंगन आदि नहीं खाया जाता है।
-मान्यताएं हैं कि इस दिन उपासक को फर्श पर सोना चाहिए।
-ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास में आलस्य का त्याग कर मनुष्य को ब्रह्ममुहूर्त में जागना चाहिए।
-कहा ये भी जाता है कि इस मास में व्यक्ति को ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए।
-रोज तुलसी को जल देकर उस स्थान पर दीप जलाना चाहिए।
-इस माह में नदी में अवश्य स्नान करना चाहिए।
-यह महीने में सभी प्रकार के पूजन, भजन और जाप के लिए श्रेष्ठ है, तो ऐसे में अधिक-से-अधिक धार्मिक कार्यों में लगने का प्रयास करना चाहिए।