जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार के नए कदम का विरोध भी शुरु हो गया है। गौरतलब है कि सोमवार को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया। यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता है। प्रस्ताव के अनुसार, जम्मू और कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा। इसमें जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, वहीं लद्दाख दूसरा केंद्र शासित प्रदेश होगा।
दिल्ली में सोमवार शाम को जंतर-मंतर पर सरकार के फैसले के विरोध में प्रदर्शन आयोजित हुए, जिसमें बड़ी संख्या में कश्मीरी छात्रों ने हिस्सा लिया। वहीं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) की पूर्व सदस्य शेहला राशिद ने कहा कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी। राशिद पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल की राजनीतिक पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपल्स मुवमेंट (JKPM) की भी सदस्य हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम आज पारित हुए आदेश को उच्चतम न्यायलय में चुनौती देंगे। ‘सरकार की जगह ‘राज्यपाल और ‘संविधान सभा की जगह ‘विधानसभा करना संविधान के साथ धोखाधड़ी है। प्रगतिशील तबकों से एकजुटता दिखाने की अपील करती हूं। आज दिल्ली और बेंगलुरु में प्रदर्शन होगा।’ राशिद ने यह भी दावा किया कि कश्मीरी लोगों के मोबाइल फोन की इंटरनेट स्पीड को भी धीमा कर दिया गया है।
We will challenge the order passed today in the Supreme Court. The move to replace “Government” by “Governor” and Constituent Assembly by “Legislative Assembly” is a fraud upon the Constitution. Appeal to progressive forces for solidarity. Protests today in Delhi and Bangalore.
— Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) August 5, 2019
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं वाई-फाई की मदद से सिर्फ ट्विटर पर पोस्ट कर पाई। राज्य से बाहर चल रहे सभी कश्मीरी लोगों के मोबाइल इंटरनेट को भी प्रतिबंधित किया गया है।’
The data speed of Kashmiri mobile numbers has been restricted. I’ve been able to post on Twitter only over Wi-Fi. All Kashmiri numbers operating outside the state have their data access restricted.@MishiChoudhary @nixxin @RanaAyyub @mehdirhasan @kavita_krishnan @sharmasupriya
— Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) August 5, 2019
वहीं JNU छात्र संघ के महासचिव ऐजाज अहमद राठेर ने कहा, ‘संसद के सदन से असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण काम किए जा रहे हैं। हमारे लिए कुछ बचा नहीं है। मैंने अपने परिवार से रविवार रात में बात की थी और उन्होंने मुझे एक बार आकर हमें देख लो कहा। कश्मीर में सब कुछ बंद के बाद हम अपने परिवारों से संपर्क करने में सक्षम नहीं हैं।
धारा 370 के खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर का भौगोलिक और राजनीतिक स्वरूप कैसा होगा?