राम मंदिर भूमि पूजन पर कश्मीरी पंडितों में खुशी भी और मायूसी भी

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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर 492 साल का लंबा इंतजार खत्म होने जा रहा है। राम मंदिर को लेकर हर तरफ खुशी नजर आ रही है। दिल्ली में रह रहे कश्मीरी पंडित भी आज भूमि पूजन को लेकर खुश है लेकिन कुछ ऐसी बातें भी हैं जिनको लेकर कश्मीरी पंडितों के मन में मायूसी है।

कश्मीरी पंडित राजेंद्र कोल प्रेमी ने आईएएनएस को बताया, “भगवान राम का वनवास तो 14 साल में खत्म हो गया था। हमारा अभी भी चल रहा है। अच्छी बात है लोगों के जज्बात इसके साथ जुड़े हुए हैं। मैं व्यक्तिगत तौर पर ज्यादा खुश तब हूंगा, जब जितने भी कश्मीरी पंडित यहां निर्वास में रह रहे है। जब वो घर चलें जाएंगे। अयोध्या में जब विशाल मंदिर बन रहा है तो मस्जिद का भी निर्माण साथ ही होना चाहिए, इससे एक अच्छा संदेश जाएगा।”


कश्मीरी समिति दिल्ली एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुनील शकधर ने आईएएनएस को बताया, “आज देश मे एकता का दिन है। देश को समझना चाहिए कि आज सिर्फ राम मंदिर ही मुद्दा नहीं है। हमारी आस्था राम मंदिर से ज्यादा भगवान राम में हैं। भगवान राम की आस्था को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ाया है। जो की देश के लिए अच्छा है।”

“कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को निकाला गया था। हम चाहते हैं कि राम मंदिर के बाद कश्मीर में जो 300 -400 मंदिर तोड़े गये थे, उन सभी मंदिरों को बनाने का कार्य किया जाए। इससे हिंदुस्तान में एकता बढ़ेगी।”

ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के सदस्य संजय सापरु ने आईएएनएस को बताया, “अयोध्या में आज जो हो रहा है वो एक अच्छी बात है। ऐसा ही एक मामला कश्मीरी पंडितों का कश्मीर में पड़ा हुआ है। जिसका नाम टेंपल एंड श्राइन बिल हैं। इस बिल को पास होने में सबसे ज्यादा अडंगा बीजेपी ने ही किया। एक साइड यहां राम मंदिर कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कश्मीर में जो मंदिर हैं उनके प्रोटेक्शन के बिल की बात जब हो रही थी। तो उसके लिए बीजेपी के लोगों ने ही ऐसा काम किया कि वह बिल पास होने नहीं दिया।”


(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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