कोरोना के साथ जीना सीखना ही पड़ेगा, मास्क और सैनिटाइजर को बनाना होगा जीवन का हिस्सा: सत्येंद्र जैन

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Delhi health minister Satyendar Jain admitted to hospital due to high fever

नई दिल्ली। कोरोना जैसी महामारी गर्मी का सीजन आते-आते समाप्त हो जाएगी ऐसा दिल्ली सरकार का मानना था। दिल्ली की केजरीवाल सरकार को विश्वास था कि एक मई आते-आते कोरोना जैसी महामारी से दिल्ली और देश को छुटकारा मिल जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा, “पहले लगता था कि गर्मी शुरू होगी, तो कोरोना चला जाएगा। हमें विश्वास था कि एक मई इसका आखरी दिन होगा और हमेशा के लिए चला जाएगा, लेकिन अब यह जाने वाला नहीं लग रहा है। ब्राजील समेत कई देशों में काफी अधिक गर्मी बढ़ गई है, इसके बाद भी कोरोना पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।”


सत्येंद्र जैन ने कहा, “अब हमें कोरोना के साथ जीना सीखना ही पड़ेगा। जहां तक कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने की बात है, तो हमें इसकी संख्या पर नहीं जाना चाहिए। हमें इसके बढ़ने के प्रतिशत को देखना चाहिए। कल इसके बढ़ने का दर करीब 5 प्रतिशत था। अभी यहां कोरोना मरीजों के बढ़ने का दर 5 से 5.5 प्रतिशत है। कभी इसके बढ़ने की दर 20 प्रतिशत थी। फिर 12 हुई। इसके बाद कम हुआ और अब 5-6 प्रतिशत है।”

दिल्ली सरकार का मत है कि जनता से मिले सुझावों में संतुलन बनाने की आवश्यकता है। वायरस के संक्रमण को रोकना जरूरी है।

स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, “इसे सिर्फ लॉकडाउन से नहीं रोकना है। इसके साथ हमें अन्य कार्य भी करने होंगे। आज से दो माह पहले विशेषज्ञों का भी कहना था कि मास्क लगाने से ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है। आज सबका कहना है कि यदि दोनों (मरीज और सामने वाला व्यक्ति) ने मास्क लगाया है, तो संक्रमण की संभावना बहुत कम रह जाती है। यदि आप साबुन से बार-बार हाथ धोते हैं और एक-दूसरे से थोड़ी दूरी बना कर रखते हैं, तो संक्रमण से बच सकते हैं।”


स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जब कोरोना के केस बहुत कम थे, तब हमें इसके व्यवहार के बारे में जानकारी नहीं थी। तब हमें लगता था कि एक-दो महीने में खत्म हो जाएगा। अब हो सकता है कि यह एक, दो या तीन साल तक रहने वाला हो। दिल्ली में आ रहे केसों में कुछ कंटेन्मेंट जोन से भी हैं।

स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने प्रवासी मजदूरों के संबंध में कहा कि कुछ प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से दिल्ली होकर अपने मूल प्रदेश के लिए जा रहे हैं। दिल्ली के प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार ने जगह-जगह रैन बसेरा बनाया हुआ है। इन रैन बसेरों में कोई भी रह सकता है। सभी रैन बसेरों में रहने के साथ खाने की भी व्यवस्था की गई है। दिल्ली में प्रतिदिन 10 लाख लोगों को दिन में लंच और रात में डिनर कराया जाता है। यदि 10 लाख की जगह 20 लाख लोग भी होंगे, तो हम इसके लिए तैयार हैं। वहीं, उन्होंने कहा कि शुरूआत में किसी भी फैक्ट्री को खोलना आसान नहीं है। इन्हें खुलने में 4-5 दिन लग सकते हैं।


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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