खास जरूरतों वाले बच्चों के माता-पिता को सशक्त बना रहा मॉम्स बिलीफ

  • Follow Newsd Hindi On  

नई दिल्ली, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। कौशल विकास के काम में जुटी महिलाओं के संगठन मॉम्स बिलीफ ने व्यापक ऑनलाइन होम प्रोग्राम के एक हिस्से के रूप में कोरोना वायरस पर केंद्रित टेलीथेरेपी आधारित एक मॉडल लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य लॉकडाउन के दौरान विशेष जरूरतों वाले बच्चों के माता-पिता को आवश्यक सेवाओं और चिकित्सा सुविधा पंहुचाकर उनको सशक्त बनाना है।

मॉम्स बिलीफ के संस्थापक और सीईओ, नितिन बिंदलिश के मुताबिक, यह योजना नामांकन के 48 घंटे के भीतर शुरू की जाती है। आसानी से उपलब्ध घरेलू वस्तुओं का उपयोग करने वाले इस मॉडल ने लॉकडाउन अवधि के दौरान माता-पिता को अपने घरों की सुरक्षा में अपने बच्चे के सह-चिकित्सक के रूप में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया है।


उन्होंने बताया कि मॉम्स बिलीफ का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विशेष जरूरतों वाले बच्चों की सीखने और विकास की गति महामारी के दौरान भी बिना रुके चलती रहे। यह कार्यक्रम लॉकडाउन अवधि के दौरान बच्चों को सुव्यवस्थित रखने में मदद करता है। अपने लॉन्च के 21 दिनों के भीतर, इसने रेड जोन क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने के साथ 3,000 घंटे की सेवा देकर भारत भर में 130 से ज्यादा स्थानों पर 500 से अधिक, विशेष जरूरतों वाले बच्चों और उनके माता-पिता को सशक्त बनाने का मुकाम हासिल किया है।

बिंदलिश ने कहा, “लॉकडाउन इन माता-पिता के लिए एक मुश्किल समय है क्योंकि विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे नियमित चिकित्सा सत्रों की अनुपस्थिति में निराश और बेचैन हो सकते हैं। मॉम्स बिलीफ बच्चों के माता-पिता को ऑटिज्म, एडीएचडी, बौद्धिक अक्षमता, लर्निग डिसएबिलिटी, डाउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्सी के साथ-साथ अन्य व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर मदद करता रहा है। व्यापक ऑनलाइन होम कार्यक्रम घरेलू वस्तुओं, स्वयं सहायता उपकरण, व्यक्तिगत कार्यक्रम, सहायता समुदायों और एक देखभाल के ²ष्टिकोण से सहायता करने पर केंद्रित है।”

उन्होंने कहा कि माता-पिता मैसेज या वीडियो कॉल के माध्यम से एक लाइव चिकित्सक से जुड़ सकते हैं, जिन्हें पूरे भारत में 750 से ज्यादा चिकित्सक के नेटवर्क के माध्यम से कई क्षेत्रीय भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाता है।


बिंदलिशा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कूरियर सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण विशेष जरूरतों वाले बच्चों के माता-पिता को रेड जोन क्षेत्रों में संसाधन बैगों की डिलीवरी में परेशानी होती थी, पर मॉम्स बिलीफ के इस कार्यक्रम से उनको बहुत राहत मिली है।

संगठन के सीईओ कहते हैं, “भारत में दो से नौ वर्ष उम्र के आठ बच्चों में से एक में विकास संबंधी कमी हो सकती है। हमको वर्तमान स्थिति के अनुकूल काम करना होगा और हमारा ये व्यापक ऑनलाइन होम प्रोग्राम इस महामारी के दौरान बच्चों की विशेष जरूरतों वाले माता-पिता का समर्थन करने और उनके जीवन में निरंतरता बनाए रखने में मदद करने का एक तरीका है।”

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)