झारखंड: कौन हैं सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय की नई कुलपति सोना झरिया मिंज?

  • Follow Newsd Hindi On  
झारखंड: कौन हैं सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय की नई कुलपति सोना झरिया मिंज?

झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सोना झरिया मिंज को सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय (एसकेएमयू) का नया कुलपति नियुक्त किया है। राज्यपाल ने गुरुवार को तीन विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति की, जिनमें विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति मुकुल नारायण देव और नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राम लखन सिंह बनाये गये।

बता दें कि मिंज ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग और एसकेएमयू के लिए वीसी के पद के लिए आवेदन किया था। सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय के वीसी नियुक्त किए जाने की जानकारी उन्हें तब मिली जब वह रांची में अपने पैतृक आवास से निकलकर दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने के लिए एयरपोर्ट जा रही थीं। दरअसल, सोना झरिया मिंज लॉकडाउन में दो महीने से रांची में फंसी हुई थीं।


28 साल से जेएनयू में काम कर रही हैं सोना झरिया मिंज

सोना झरिया मिंज को कुलपति बनाया जाना अपनेआप में ऐतिहासिक है। सोना झरिया मिंज झारखंड के प्रसिद्ध स्वतंत्रा सेनानी निर्मल मिंज की बेटी हैं। सोना झरिया मिंज जेएनयू की छात्रा रही हैं और वर्तमान में वहीं पर ‘स्कूल ऑफ़ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंस’ विभाग में प्रोफेसर हैं। पिछले 28 साल से वे जेएनयू में काम कर रही हैं। वे जेएनयू में टीचर एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। सोना झरिया मिंज ने तमिलनाडु के क्रिश्चयन कॉलेज से गणित में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। उसके बाद उन्होंने जेएनयू से कम्प्यूटर साइंस में एमफिल और पीएचडी किया। जेएनयू में प्रोफेसर नियुक्त होने से पहले उन्होंने मध्य प्रदेश के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय और मदुरई के कामराज यूनिवर्सिटी में भी असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम किया।

रिपोर्टों के अनुसार, एक दशक पहले तक, पूर्वी भारत से दिल्ली आने वाले छात्र उन्हें अपना लोकल गार्डियन कहा करते थे। मिंज ने कहा कि यह भूमिका अब कई युवा आदिवासी युवक-युवतियों ने संभाल ली है जो हाल के वर्षों में जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में शामिल हुए हैं।

साल 2018-19 में, उन्होंने जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान, छात्रों और शिक्षकों ने उग्र आंदोलन गतिविधियों में भाग लिया और सीट में कटौती, अनिवार्य उपस्थिति और ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा के कार्यान्वयन का विरोध किया। इस साल जनवरी में, जब दक्षिणपंथी छात्र नेताओं ने जेएनयू परिसर में हंगामा किया था तो वह पत्थरबाजी में घायल भी हुईं थी।


हाल ही में, लॉकडाउन में फंसे हुए प्रवासी कामगारों की सहायता के लिए भी आगे आईं। पिछले हफ्ते, झारखंड, तमिलनाडु और कर्नाटक में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं से बात कर मिंज ने तमिलनाडु के टेक्सटाइल हब कहे जाने वाले तिरुप्पुर में फंसे लगभग 141 युवा श्रमिकों को वापस लाने में मदद की।

बहरहाल, सोना झरिया मिंज एसकेएमयू के कुलपति के रूप में तीन साल के कार्यकाल के बाद जेएनयू में लौटने का इरादा रखती हैं। इस दौरान वह एसकेएमयू में कंप्यूटर एप्लिकेशन पाठ्यक्रमों में पढ़ाने की चाहत भी रखती हैं। बताते चलें कि सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय की स्थापना 1992 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने की थी।


झारखंड: आईएएस अधिकारी ने कोरोना की जंग में तकनीक को बनाया हथियार

झारखंड में विमान से लाए गए 180 प्रवासी मजदूर

(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)