क्या है इस्लामिक सहयोग संगठन(OIC), जिसमें भारत है विशिष्ट अतिथि, मौजूदगी क्यों है खास

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भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अबु धाबी में होने वाले इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने दुबई पहुंच चुकी हैं। उन्हें 1-2 मार्च को होने वाले सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर विशिष्ट अतिथि (गेस्ट ऑफ ऑनर) बुलाया गया गया है। इस बात को लेकर पाकिस्तान तिलमिला गया है और उसने बैठक के बहिष्कार की धमकी दी है।

क्या है OIC ?


इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) का गठन 1969 में किया गया था और पाकिस्तान इसका संस्थापक सदस्य देश है। इस संगठन में 57 सदस्य हैं, जिसमें 40 मुस्लिम बाहुल्य देश हैं। इस लिहाज से संयुक्त राष्ट्र के बाद यह दूसरा बड़ा अंतर सरकारी संगठन है। 25 सितंबर, 1969 को मोरक्को की राजधानी रबात में मुस्लिम देशों का एक सम्मेलन हुआ था। उसी सम्मेलन में इस संगठन के स्थापना का फैसला किया गया था। इसका मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दाह में है। इसके मौजूदा महासचिव युसूफ बिन अहमद अल उसैमीन हैं। इस्लामिक कॉन्फ्रेंस ऑफ फॉरेन मिनिस्टर (आईसीएफएम) की 1970 में पहली मीटिंग हुई।  इस मंच पर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बुलाया जाना इसलिए भी अहम है क्योंकि 50 साल बाद भारत को न्योता दिया है।

कब बना OIC और कौन-कौन से देश हैं इसका हिस्सा

OIC 1969 में बना ऑर्गेनाइजेशन है। इस ऑर्गेनाइजेशन में कुल 56 देश हैं। इन 56 देशों के नाम हैं- अफगानिस्तान, अल्बानिया, अल्जीरिया, अज़रबैजान, बहरीन, बांग्लादेश, बेनिन, ब्रूनेई, दार-ए-सलाम, बुर्किना फासो, कैमरून, चाड, कोमोरोस, आईवरी कोस्ट, जिबूती, मिस्र, गैबॉन, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाऊ, गुयाना, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जार्डन, कजाखस्तान, कुवैत, किरगिज़स्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली, मॉरिटानिया, मोरक्को, मोजाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, ओमान, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सेनेगल, सियरा लिओन, सोमालिया, सूडान, सूरीनाम, सीरिया, ताजिकिस्तान, टोगो, ट्यूनीशिया, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान, यमन।


OIC का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस्लामी एकजुटता को प्रोत्साहन देना है।

क्या है OIC का मुख्य उद्देश्य

  • OIC का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस्लामी एकजुटता को प्रोत्साहन देना है। सदस्यों के बीच परामर्श की व्यवस्था करना है।
  • इसके अलावा इसका उद्देश्य न्याय पर आधारित देश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बहाल करना है।
  • विश्व के सभी मुसलमानों की गरिमा, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय अधिकारों की रक्षा करने का उद्देश्य भी इस संस्था का है।

50 साल बाद मिला न्योता

भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को पहली समिट में शामिल होने के लिए सऊदी अरब के सुझाव के बाद बुलाया गया था। मगर, पाकिस्तान के विरोध के बाद न्योते को खारिज कर दिया गया था और भारत का प्रतिनिधिमंडल बीच रास्ते से भारत लौट आया था। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश होने के बावजूद भारत इस संगठन का न तो सदस्य है और न ही पर्यवेक्षक देश है। जबकि पर्यवेक्षक की तौर पर रूस, थाईलैंड और कई छोटे-मोटे अफ्रीकी देशों को हमेशा बुलाया जाता है।

भारत के लिए बड़ी कामयाबी

हालांकि, भारत ने कहा है कि संगठन की ओर से दिया गया न्योता भारत में 18.5 करोड़ मुस्लिमों की उपस्थिति और इस्लामी दुनिया में भारत के योगदान को मान्यता देता है। भारत को यह न्योता दिया जाना देश की कूटनीतिक विजय है। दरअसल, पाकिस्तान इस मंच का दुरुपयोग कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का मामला उठाकर भारत को बदनाम करने के लिए करता रहा है। इसके साथ ही इस संगठन में भारत के प्रवेश का पाकिस्तान लगातार विरोध करता रहा है।

कई OIC देश भारत के साथ

मगर, पिछले कुछ वर्षों में पश्चिमी एशिया और खासतौर पर UAE के साथ भारत के प्रगाढ़ होते संबंधों की वजह से भारत को इस मंच पर आने का न्योता दिया गया है। कतर ने साल 2002 में पहली बार इस मंच में भारत को पर्यवेक्षक देश का दर्जा देने की बात कही थी। पिछले साल तुर्की और बांग्लादेश ने भी भारत को संगठन में शामिल करने के लिए कहा था। अधिकांश OIC सदस्य देशों के साथ भारत के व्यक्तिगत रूप से सौहार्दपूर्ण संबंध हैं।

UAE से अच्छे हुए रिश्ते

OIC की बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रण संयुक्त अरब अमीरात(UAE) जारी करता है। वहां भारतीयों की आबादी करीब एक तिहाई है और UAE ने भारत के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया है। इसने भारत के अनुरोध पर अगस्ता वेस्टलैंड मामले में शामिल राजीव सक्सेना और क्रिश्चियन मिशेल जैसे धोखेबाजों को भारत के हवाले करके भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में मदद की है।


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