भारत की पहली महिला विधायक डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddi) सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत रहीं। मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddy) देश की पहली (मेडिकल ग्रेजुएट) महिला डॉक्टर भी थीं। इसके साथ ही वह देश की पहली लड़की थीं, जिन्होंने लड़कों के स्कूल में दाखिला लिया। उन्होंने उम्र भर महिलाओं के अधिकारों की आवाज बुलंद की और स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना योगदान दिया। Google ने आज डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी की 133वीं जयंती पर Doodle (Muthulakshmi Reddi Google Doodle) बनाकर उन्हें याद किया है।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddi) का जन्म 30 जुलाई 1886 को हुआ था। बचपन से ही पढ़ने के लिए काफी दिक्कतों के बावजूद उन्होंने भी मां-बाप को निराश नहीं किया और देश की पहली महिला डॉक्टर बनीं। देश की पहली महिला विधायक बन कर वह सभी के लिए एक मिसाल बनीं। आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddi) के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
1. मुथुलक्ष्मी के पिता एस नारायण स्वामी चेन्नई के महाराजा कॉलेज के प्रिंसिपल थे। समाज के तानों के बावजूद उनकी मां चंद्रामाई ने उन्हें पढ़ने के लिए भेजा।
2. वह शुरू से ही एक होनहार छात्रा थीं। 10वीं के बाद उन्होंने पुदुकोट्टई के महाराजा कॉलेज में दाखिले के लिए फॉर्म भरा। लेकिंन उस समय महिलओं पर इतना ध्यान न दिए जाने के कारण कॉलेज द्वारा उनके फॉर्म को ख़ारिज कर दिया गया।
3. ग्रेजुएशन के बाद मुथुलक्ष्मी ने मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उनकी दोस्ती एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई।
4. मुथुलक्ष्मी मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन करने वाली देश की पहली महिला बनीं।
5. मद्रास के सरकारी मातृत्व और नेत्र अस्पताल की पहली महिला हाउस सर्जन के तौर पर भी उन्होंने काम किया।
6. उन्हें इंग्लैंड जाकर आगे पढ़ने का मौका भी मिला, लेकिन उन्होंने ‘वूमेंस इंडियन एसोसिएशन’ (Women’s Indian Association) के लिए काम करने को तरजीह दी। मुथुलक्ष्मी ने 1918 में ‘वूमेंस इंडियन एसोसिएशन’की स्थापना में मदद की थी।
7. उन्हें मद्रास विधान सभा के उप-राष्ट्रपति के रूप में भी चुना गया था और इसी के बाद वह भारत की पहली महिला विधायक बनीं।
8. अपने जीवनकाल में मुथुलक्ष्मी ने कम आयु में लड़कियों की शादी रोकने के लिए नियम बनाये और अनैतिक तस्करी नियंत्रण अधिनियम को पास करने के लिए परिषद से आग्रह किया।
9. 1954 में ‘अड्यार कैंसर इंस्टिट्यूट’ (Adyar Cancer Institute) की नींव भी उन्होंने ही रखी। यह आज सालाना 80 हजार कैंसर मरीजों का इलाज यहां होता है।
10. अपने महान योगदान के चलते मुथुलक्ष्मी को 1956 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
11. 22 जुलाई 1968 को चेन्नई में उनका निधन हो गया था।
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