पुण्यतिथि विशेष: 500 रुपए लेकर मायानगरी आए थे धीरूभाई अंबानी, ऐसे बने देश के सबसे अमीर आदमी

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पुण्यतिथि विशेष: 500 रुपए लेकर मायानगरी आए थे धीरूभाई अंबानी, ऐसे बने देश के सबसे अमीर आदमी

रिलायंस इंडस्ट्रीज आज जिस मुकाम पर है, उसका सबसे ज्यादा श्रेय धीरूभाई अंबानी को जाता है, क्योंकि उन्होंने ही इसकी नींव रखी थी। आज उनकी पुण्यतिथि है।

अपनी मेहनत के दम पर धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को इस मुकाम तक पहुंचाया कि आज अंबानी का नाम दुनिया के सबसे अमीर आदमियों की लिस्ट में शुमार है। क्या आप जानते हैं कि धीरूभाई अंबानी ने कैसे इस बिजनेस की शुरुआत की? आइये आपको बताते हैं कि कैसे 300 रुपये सैलरी के तौर पर लेने वाले धीरूभाई अंबानी इस मुकाम तक पहुंचे।


300 रुपए की सैलरी पर किया काम 

धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1933 को गुजरात के छोटे से गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद ही छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए। महज 17 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए वह अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए और पेट्रोल पंप पर काम शुरू किया। उनकी सैलरी 300 रुपये प्रति माह थी। उनकी मेहनत को देखते हुए जल्द ही उन्हें फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया गया।

500 रुपये लेकर आए थे मायानगरी

यमन में नौकरी करने के बाद वह 1954 में भारत लौट आए। बड़ा आदमी बनने का सपना लिए वह मायानगरी मुंबई रवाना हो गए। उस समय उनके पास सिर्फ 500 रुपये थे। उन्हें भारीतय बाजार की बहुत समझ थी और उन्होंने महसूस किया कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है। वहीं, विदेशों में भारतीय मसालों की मांग काफी अधिक है। यहीं से उन्हें बिजनेस का आईडिया आया।

‘रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन’ की शुरुआत से देश के सबसे अमीर व्यक्ति बनने तक का सफर

बिजनेस आईडिया मिलने के बाद धीरूभाई अंबानी ने अपनी कंपनी ‘रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन’ की शुरुआत की। इस कंपनी के जरिए धीरूभाई अंबानी ने भारत में विदेशी पोलिस्टर और विदेशों में भारत के मसाले बेचने शुरू किये। 1 मेज, 3 कुर्सी, 2 सहयोगी और 1 टेलिफोन के साथ की थी। उनके बारे में एक खास बात यह भी थी कि वह कभी 10 घंटों से ज्यादा काम नहीं करते थे।


उनकी मेहनत और बिजनेस आईडिया ने काम किया और 2000 के दौरान ही अंबानी देश के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में उभरे। 6 जुलाई, 2002 को उनका निधन हो गया।

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