Radha Ashtami 2020: कल देशभर में मनाई जाएगी राधा अष्टमी, जानिए क्या है इस दिन का महत्व और पूजा विधि

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Know the importance and worship method of Radha Ashtami

Radha Ashtami 2020:  हर साल भादों माह की शुक्लपक्ष अष्टमी को श्रीराधा अष्टमी (Radha Ashtami) के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 25 अगस्त को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार भादों कृष्णपक्ष अष्टमी से पन्द्रह दिन बाद शुक्लपक्ष की अष्टमी को दोपहर अभिजित मुहूर्त में श्रीराधा (Shri Radha) जी राजा वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं।

यज्ञ भूमि से प्रकट हुई कन्या को श्रीराजा बृषभानु और उनकी धर्मपत्नी श्री कीर्ति ने अपनी पुत्री मानकर पाला था। ब्रह्मकल्प, वाराहकल्प और पाद्मकल्प इन तीनों कल्पों में राधा जी का, कृष्ण की परम शक्ति के रूप में वर्णन मिलता है। जिन्हें भगवान् श्री कृष्ण ने अपने वामपार्श्व से प्रकट किया है।


पौराणिक कथाओं में ऐसा वर्णन मिलता है कि भगवान श्रीविष्णु (Lord Vishnu) ने कृष्ण के रूप में धरती में अवतार लेने के पहले अपने भक्तों को भी पृथ्वी (Earth) पर चलने का संकेत दिया था। इसके बाद विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।

राधा अष्‍टमी का महत्‍व

राधा-कृष्‍ण के भक्‍तों के लिए इस दिन का विशेष महत्‍व है। मान्यता है कि जो लोग इस उपवास को करते हैं उनके घर में धन की कमी नहीं होती। उन लोगों पर श्रीकृष्ण और राधा की विशेष कृपा होती है। यही वजह है कि अपने ईष्टदेव कृष्‍ण को मनाने के लिए भक्‍त पहले राधा रानी को प्रसन्‍न करते हैं।


राधा अष्‍टमी पूजा विधि

-सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करें।

-चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर श्री कृष्ण और राधा जी की प्रतिमा स्थापित करें।

-पंचामृत से स्नान कराएं, सुंदर वस्त्र पहनाकर का दोनों का श्रंगार करें।

-कलश पूजन के साथ राधा और कृष्ण की पूजा करें।

– राधा और कृष्ण को फल-फूल और मिष्ठान अर्पित करें।

– अब राधा कृष्ण के मंत्रों का जाप करें, कथा सुने।

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